No Wheelchairs Available, Rajasthan Man Takes Injured Son To Hospitals 3rd Floor On E-Scooter – व्हीलचेयर नहीं होने पर व्यक्ति अपने घायल बेटे को ई-स्कूटर से तीसरी मंजिल पर स्थित वार्ड में ले गया
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प्रतीकात्मक फोटो.
कोटा:
राजस्थान के कोटा में एक वकील अपने 15 वर्षीय बेटे के पैर में ‘फ्रैक्चर’ आने के बाद उसे एक सरकारी अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित अस्थिरोग वार्ड में एक ‘ई-स्कूटर’ से ले गया. इसका कारण यह था कि अस्पताल में वहां व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं था.
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वकील मनोज जैन ने बताया कि अस्पताल पहुंचने पर उन्होंने वहां के कर्मियों मुकेश और सुखलाल से व्हीलचेयर मांगा, लेकिन दोनों ने कहा कि यह नहीं है. जैन ने दावा किया कि इसके बाद उन्होंने उन दोनों से अपना स्कूटर वार्ड तक ले जाने की अनुमति ली.
हालांकि, लौटते समय पिता-पुत्र को वार्ड प्रभारी देवकीनंदन ने रोक लिया और स्कूटर की चाबी ले ली. इसके बाद, वकील ने अस्पताल प्रशासन के कथित कुप्रबंधन तथा व्हीलचेयर नहीं मिलने को लेकर हंगामा किया. यह घटना एमबीएस अस्पताल में हुई जो कोटा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है.
पुलिस ने बताया कि दोनों पक्षों ने कोई शिकायत नहीं दायर करने का फैसला किया और फिर बातचीत के जरिए मामला सुलझाया गया.
चश्मदीदों के अनुसार दिन में करीब डेढ़ बजे यह घटना हुई, जब वकील की पोशाक में जैन अपने बेटे को स्कूटर पर बिठाकर ‘एलीवेटर’ की ओर गये. उनके मुताबिक, वह तीसरी मंजिल पर लिफ्ट से बाहर निकले और स्कूटर सीधे वार्ड में ले गये, जहां मरीज, आंगुतक, अस्पताल कर्मी और डॉक्टर यह देखकर अवाक रह गये.
यह देख कर कई अन्य लोगों ने भी अपने परिजनों को दोपहिया वाहन पर अस्पताल में वार्ड तक लाने-ले जाने की अनुमति मांगी. उसके बाद, हंगामा होने लगा. तब अस्पताल चौकी पुलिस वहां पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया. इस बीच, देवकीनदंन ने स्वीकार किया कि वार्ड में व्हीलचेयर की कमी है. उन्होंने कहा कि इस वार्ड में रोजाना करीब 3,000 मरीज आते हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा.
अस्पताल के उपाधीक्षक कर्णेश गोयल ने कहा कि सरकार से व्हीलचेयर की आपूर्ति का इंतजार है. उन्होंने लोगों से व्हीलचेयर खरीदने के लिए चंदा देने की अपील की.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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