Not Unhappy: Ajit Pawar, Sharad Pawar On Not Getting A Post In NCP Told Who Suggested It – नाखुश नहीं : NCP में पद नहीं मिलने पर अजित पवार, शरद पवार ने बताया किसका था यह सुझाव


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अजित पवार ने कहा कि पिछले कई वर्षों से सुप्रिया दिल्ली में हैं और मैं राज्य की राजनीति में सक्रिय हूं.

पुणे:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार ने शनिवार को मीडिया में आई इन खबरों को खारिज कर दिया कि सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने और शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में उन्हें कोई भूमिका नहीं दिए जाने से वह नाखुश हैं. इससे पहले दिन में राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली में सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया. पवार ने पार्टी की 24वीं वर्षगांठ पर कार्यकारी अध्यक्षों के नामों की घोषणा की.

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‘मेरे पास राज्य की जिम्मेदारी’

अजित पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ मीडिया चैनल ने ऐसी खबरें चलाईं कि अजित पवार को कोई जिम्मेदारी नहीं मिली, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मेरे पास महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी है.” उन्होंने कहा कि वह स्वेच्छा से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले कई वर्षों से, सुप्रिया दिल्ली में हैं. मैं राज्य की राजनीति में सक्रिय हूं. मेरे पास राज्य की जिम्मेदारी है क्योंकि मैं यहां का विपक्ष का नेता हूं.”

‘सुझाव अजीत पवार ने दिया था’

इस बीच, दिल्ली में कार्यक्रम के बाद शरद पवार ने उन अटकलों को खारिज किया कि सुले की नियुक्ति से उनके भतीजे अजित पवार नाखुश हैं. पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सुझाव उन्होंने (अजीत पवार) दिया था, तो उनके खुश या नाखुश होने का सवाल ही कहां है.”

महाराष्ट्र की प्रभारी भी सुप्रिया

महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष अभी जयंत पाटिल हैं, जो शरद पवार के बहुत करीबी हैं. शरद पवार ने आज जो घोषणा की है, उसमें सुप्रिया सुले को पंजाब और हरियाणा के साथ महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया है. यही नहीं सुप्रिया सुले को केन्द्रीय चुनाव समिति का भी अध्यक्ष बनाया गया है. इसका मतलब हुआ कि जब भी टिकट बांटे जाएंगे, सुप्रिया की चलेगी और जब महाराष्ट्र में टिकट बांटने के लिए समिति बनाई जाएगी, उसका गठन भी वही करेंगी.  

सुप्रिया लगातार तीसरी बार सांसद

सुप्रिया सुले के लिए राजनीति नई नहीं है. 2006 में उप चुनाव में निर्विरोध चुने जाने के बाद वो राज्यसभा में आई थी तब बाला साहब ठाकरे ने उनके लिए बीजेपी को अपना उम्मीदवार ना खड़ा करने के लिए दबाव बनाया था और सफल रहे थे. सुप्रिया लगातार तीसरी बार बारामती से सांसद हैं. 

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