Now sugarcane farmers will get silver, many products including urea, paper – News18 हिंदी
अखंड प्रताप सिंह/कानपुर:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते हैं. वहीं देश में बड़ी संख्या में किसान गन्ना का उत्पादन करते हैं, लेकिन जो गन्ने का रेट है वह फिक्स रहता है. ऐसे में किसानों के सामने काफी समस्या होती है क्योंकि उन्हें अधिक मूल्य नहीं मिल पाता है.
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि अभी तक गन्ने का इस्तेमाल सिर्फ शक्कर बनाने में होता था लेकिन जो शक्कर बनने के बाद इसमें नॉन फूड बायोमास बचता है. इसके साथ ही खेतों में जो खरपतवार बचती है. इन सब के जरिए अब अलग-अलग प्रोडक्ट इंडस्ट्री में ही बनाए जाएंगे. जिससे किसानों को भी सीधा लाभ होगा. इतना ही नहीं कई ऐसे प्रोडक्ट है जो देश में आयत होते हैं जिसमें यूरिया, पॉली एथिनिल, एथेनॉल ,पेपर शामिल है. यह भी इसी नॉन फूड बायोमास से तैयार किया जा सकेंगे.
नॉन फूड बायोमास से तैयार होंगे खास प्रोडक्ट
कानपुर में स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में लगातार गन्ना और शुगर को लेकर शोध किए जाते हैं. शुगर इंडस्ट्री में कैसे नए-नए प्रोडक्ट तैयार किया जा सके इस पर काम किया जाता है. इसी क्रम में अब शुगर इंडस्ट्री में शक्कर के साथ अन्य उत्पादों को भी तैयार करने के लिए कवायत शुरू की गई है. जिसमें अब जो गन्ने से शुगर निकालने के बाद बायोमास बच जाता है. उसे बायोमास से शक्कर से भी कीमती प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. जिसमें बायोमास से यूरिया ,पेपर ,इथेनॉल पाली एथिलीन समेत कई प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. ऐसे में जहां शुगर इंडस्ट्री में शक्कर के साथ यह प्रोडक्ट तैयार होंगे तो इंडस्ट्री को भी फायदा होगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा. क्योंकि अभी तक गन्ने के रेट उनको एक फिक्स अमाउंट ही मिलता था. लेकिन जब इंडस्ट्री में और प्रोडक्ट उसके बायोमास से तैयार होंगे तो किसानों को भी कुछ ना कुछ उसका प्रॉफिट मिलेगा.
प्रदूषण में भी होगा रोकथाम
चीनी विशेषज्ञ विवेक वर्मा ने बताया कि अब जब नॉन फूड बायोमास से तरह-तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे तो देश में जो अभी प्रोडक्ट आयात किए जाते हैं. उन पर रोक लगेगी क्योंकि यहीं पर यह प्रोडक्ट तैयार किया जा सकेंगे. अभी यह नॉन फूड बायोमास बिल्कुल कबाड़ के तरह बर्बाद चला जाता है. लेकिन आने वाले समय में यह शक्कर जितना कीमती होता क्योंकि इससे महंगे महंगे प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. वहीं अभी खेती करने के बाद जब फसल कट जाती है तो उसमें जो खरपतवार बचती है उसे किसान पराली के रूप में जला देते हैं. लेकिन आप उन्हें ऐसा करने से रोका जाएगा क्योंकि उसका इस्तेमाल से यह प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. ऐसे में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण में भी रोकथाम होगी.
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FIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 17:56 IST