Nuclear Diamond Battery world first power battery that can charge electronic devices for thousands of years


Nuclear Diamond Battery: मोबाइल और उसकी बैटरी…ये दो चीजें ऐसी हैं, जिसके बिना 21वीं शताब्दी की कल्पना करना ही पाप है. दोनों चीजें आज की ह्यूमन लाइफ का अभिन्न अंग बन गई हैं. आप जहां जाएंगे, मोबाइल आपके साथ होगा. मोबाइल है तो चार्जर भी जरूरी है. हालांकि दोनों चीजों को एक साथ कैरी करने का झंझट बहुत खलता है, इसलिए कंपनियों ने ऐसे चार्जर बनाए, जो झट से बैटरी चार्ज कर देते हैं. इसके बावजूद प्रॉब्लम वहीं के वहीं है, चार्जर तो लेकर चलना ही होगा… 

क्या आप एक ऐसी बैटरी की कल्पना कर सकते हैं, जिसे एक बार चार्ज कर लो तो जिंदगी भर की फुर्सत हो जाए? ये बात मजाक लग सकती है, लेकिन एडवांस होती साइंस ने ऐसा कर दिखाया है. दुनिया की ऐसी पहली बैटरी तैयार हो गई है जो एक बार चार्ज हो गई तो हजारों सालों तक की फुर्सत हो जाएगी. चलिए जानते हैं इसके बारे में… 

बन गई सालों चलने वाली दुनिया की पहली बैटरी

इंग्लैंड की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर डायमंड बैटरी बनाई है. यह बैटरी किसी भी छोटे से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को हजारों साल तक के लिए चार्ज कर सकती है. वैज्ञानिकों ने इस बैटरी में कार्बन-14 नाम का रेडियोएक्टिव पदार्थ है, जिसकी आधी उम्र 5730 साल है. यानी आपके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को सालों ऊर्जा मिलती रहेगी. 

कैसे बनाई ये बैटरी

अभी तक आपने हीरे का इस्तेमाल सिर्फ ज्वैलरी बनाने में ही सुना होगा. वैज्ञानिकों ने इसकी मदद से बैटरी बनाई है. ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बैटरी को बनाने के लिए हीरे के अंदर रेडियोएक्टिव पदार्थ डाला है. ये दोनों पदार्थ मिलकर बिजली पैदा करते हैं, जिससे आपके डिवाइस को ऊर्जा मिलती रहेगी और जब तक डिवाइस ठीक है, इसे चार्ज करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. 

किस तरह करेगी काम

न्यूक्लियर डायमंड बैटरी में कार्बन-14 और डायमंड के कारण रेडिएशन होता है. इस रेडिएशन की वजह से इलेक्ट्रॉन तेजी से घूमते हैं, जिसके बिजली पैदा होती है. यानी किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तरह इसे अलग से बिजली स्रोत की जरूरत नहीं होती, और यह हीरे की प्रतिक्रिया का उपयोग करके स्वत: ही बिजली उत्पन्न करता रहेगा. यह ठीक वैसा ही है जैसे सोलर पॉवर के लिए फोटोवोल्टिक सेल्स का उपयोग करके फोटॉन को बिजली में परिवर्तित किया जाता है. 

कहां होगा इस्तेमाल

दुनिया की पहली न्यूक्लियर डायमंड बैटरी तो बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल कहां होगा. तो भविष्य में यह बैटरी स्पेस सेक्टर या फिर डिफेंस सेक्टर में उपयोग हो सकती है. किसी अन्य डिवाइस में इस बैटरी के लिए इस्तेमाल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. 

ये भी पढ़ें: रेलवे के नए 3E और 3AC कोच में क्या है अंतर, जानिए कितना होता है किराया



Source link

x