Odisha Train Accident Congress Randeep Surjewala 9 Question To Pm Modi Demand To Sacked Rail Minister
Balasore Train Accident: बालासोर रेल हादसे में 288 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि घायलों की संख्या 1175 हो गई है. वहीं, हादसे को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस भीषण एक्सीडेंट को लेकर पीएम मोदी से 9 सवाल पूछे हैं. इसके साथ ही उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बर्खास्त करने की मांग भी की है.
सुरजेवाला ने न्यूज रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रेल मंत्री ने सिग्नल सिस्टम में फेलियर को लेकर गंभीर चेतावनी को इग्नोर क्यों किया. उन्होंने यह भी कहा कि रेल मंत्री का ध्यान रेलवे की सुरक्षा के बजाय मार्केटिंग और पीएम मोदी को खुश करने में ज्यादा है. सुरजेवाला ने पूछा कि क्या मृतक केवल संख्या हैं या फिर भारत की सबसे खराब रेल हादसे के लिए कोई जिम्मेदार है? उन्होंने खुद ही कहा, मोदी सरकार और रेल मंत्री को इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराना चाहिए.
सुरजेवाला ने बताई 9 वजह, पूछे 9 सवाल
1- शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि बालासोर रेल हादसा सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के कारण हुआ लेकिन रेल मंत्री और रेल मंत्रालय सिगनल प्रणाली की विफलता पर दी गई महत्वपूर्ण चेतावनी से बेखबर थे. रेल मंत्री या रेल मंत्रालय इस खबर से बेखबर या लापरवाह क्यों थे.
2- हाल ही में कई मालगाड़ियों के पटरी से उतर गईं, जिसमें कई लोको पायलटों की मौत हो गई और वैगन नष्ट हो गए. इसने रेल सुरक्षा की कमी पर पर्याप्त अलार्म क्यों नहीं उठाया, जिससे मंत्री और रेल मंत्रालय को उचित उपाय करने के लिए मजबूर होना पड़ता?
3- क्या ये सही है कि रेल मंत्री को रेल सुरक्षा पर ध्यान देने के बजाय मार्केटिंग और प्रधान मंत्री को खुश करने की अधिक चिंता है?
क्या रेल मंत्री भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कठिन काम को देखने के बजाय प्रधानमंत्री से वंदे भारत ट्रेनें शुरू कराने, रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण (उनकी तस्वीरें ट्वीट करने) और राजस्व बढ़ाने में व्यस्त हैं?
क्या यही कारण है कि रेल मंत्री ने 2 जून, 2023 को चिंतन शिविर (ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट से कुछ घंटे पहले) में रेलवे सुरक्षा पर प्रेजेंटेशन को बड़े पैमाने पर छोड़ दिया और वंदे भारत ट्रेनों के लॉन्च और राजस्व में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया?
4- क्या “रेलवे सुरक्षा” की बढ़ती चूक आवश्यक मानव संसाधन – गैंग मैन, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट आदि जैसे पैदल सैनिकों की उपलब्धता की कमी के कारण नहीं है?
क्या ये सही नहीं है कि रेलवे द्वारा दिए गए एक आरटीआई जवाब के अनुसार 39 रेलवे जोनों में से अधिकांश के पास आवश्यक मानव संसाधन की कमी है?
क्या ये सही नहीं है कि रेलवे में ग्रुप सी के 3,11,000 पद खाली हैं जिससे रेल सुरक्षा के साथ-साथ परिचालन क्षमता भी खतरे में है?
क्या ये सही नहीं है कि रेलवे में 18,881 राजपत्रित संवर्ग के पदों में से 3,081 पद खाली पड़े हैं?
कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में प्रभावी व सुरक्षित संचालन कैसे संभव है?
5- क्या ये सही नहीं है कि पिछले वर्ष ऐसी 35 दुर्घटनाओं की तुलना में वर्ष 2022-23 में 48 “ट्रेन दुर्घटनाएं” (जान, संपत्ति आदि के नुकसान के मामले में गंभीर परिणाम वाली रेल दुर्घटनाएं) देखी गईं?
क्या ये सही नहीं है कि वर्ष 2022-23 में 165 “गैर-परिणामी ट्रेन दुर्घटनाएं” हुईं, जिनमें “सिग्नल खतरे में पड़ने वाले – एसपीएडी” के 35 मामले शामिल हैं?
इसने रेल सुरक्षा पर गंभीर चेतावनी क्यों नहीं दी? क्या निवारक उपाय किए गए?
6- कवच नामक “ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली – टीसीएएस” को सभी रेलवे क्षेत्रों में क्यों लागू नहीं किया गया है?
क्या यह सही नहीं है कि रेल नेटवर्क का केवल 2% यानी 68,000 किलोमीटर रेलवे नेटवर्क में से 1,450 किलोमीटर कवच द्वारा कवर किया गया है?
रेल सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
7- रेल मंत्रालय ने “रेल सुरक्षा आयोग” की शक्तियों में कटौती करके उसे बेमानी क्यों बना दिया है?
8- क्या ये सही नहीं है कि कैग रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि “राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष” का 20% गैर-सुरक्षा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था और पर्याप्त राशि का उपयोग नहीं किया गया था?
क्या ये जानबूझकर की गई चूक नहीं है?
9- रेल मंत्री पर आईटी और टेलीकॉम जैसे बड़े मंत्रालयों का भी बोझ क्यों है, जिसे चलते उनके लिए रेलवे दूसरे नंबर काम काम हो गया है और सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं?
यह भी पढ़ें