Once the people of Pakistan were crazy about this betel leaf of Bihar now farmers are moving away from its cultivation – News18 हिंदी
कुंदन कुमार/गया. मगध की धरती मगही पान की खेती के लिए जानी जाती है. मगध क्षेत्र के गया, औरंगाबाद और नवादा जिले में बड़े पैमाने पर मगही पान की खेती की जाती है. यहां का पान बनारस होते हुए देश के अन्य राज्यों में भेजा जाता है. एक दौर था जब मगध का मगही पान पाकिस्तान तक भेजा जाता था. गया जिले के गुरुआ, आमस और वजीरगंज प्रखंड क्षेत्र, औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड क्षेत्र और नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड क्षेत्र में आज भी बड़े स्तर पर इसकी खेती हो रही है. दो वर्ष पूर्व मगही पान को जीआई टैग भी मिल चुका है.
मगही पान को जीआई टैग मिले दो साल से अधिक हो गए, लेकिन अब तक न तो पान के लिए डेडीकेटेड प्रोसेसिंग प्लांट लगे और न ही पान की खेती के उन्नत मार्केटिंग की कोई व्यवस्था ही की गई. किसान अपने बलबूते पान की खेती कर रहे हैं. उसे कोलकाता, बनारस की मंडियों तक पहुंचाते हैं. पान के पत्ते लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोई प्लांट नहीं लगाया गया है. ऐसे में किसानों के पास पान के पत्ते को तोड़ने के साथ ही तुरंत मार्केट में पहुंचाने की जल्दी रहती है. इस कारण किसान कम रेट पर भी पान के पत्ते को मंडियों में बेच देते हैं. कभी-कभी पानी के पत्ते नहीं बिकने पर नुकसान भी होता है.
धीरे-धीरे घट रही है किसानों में रुचि
मगही पान के किसानों का हाल जानने लोकल 18 औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड क्षेत्र में पहुंचा. जहां आज से 10 वर्ष पूर्व तक देव प्रखंड के 12 गांव में पान की खेती होती थी. लेकिन इस खेती में मुनाफा कम होने के कारण धीरे-धीरे किसान इसकी खेती से दूर होते जा रहे हैं. अब सिर्फ 5 से 6 गांव में ही इसकी खेती हो रही है. अभी भी इस इलाके में लगभग 50 एकड़ में मगही पान की खेती की जाती है. मगही पान की खेती से दूर होने के पीछे किसानों का एक और वजह सामने आई कि उनकी मिट्टी खराब हो रही है, लेकिन सरकार उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. पुराने किसान जो बाहर रोजगार या काम नहीं कर सकते वहीं, किसान सिर्फ इसकी खेती कर रहे हैं.
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किसानों के लिए घाटे का सौदा
मगही पान की खेती पिछले कुछ वर्षों से किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. ज्यादा मेहनत और कम मुनाफा के कारण युवा वर्ग के लोग इसकी खेती से काफी दूर होते जा रहे हैं. हालांकि, सरकार के द्वारा काफी हद तक किसानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है. पान किसानों को भारी-भरकम अनुदान दिया जा रहा है. एक यूनिट पान लगाने का खर्च 70500 रुपये अनुमानित है. इससे फायदा मात्र 20 हजार होता है. इसके तहत सरकार की ओर से 35 हजार 250 रुपये की सब्सिडी दे रही है.
क्या कहते हैं किसान
इस संबंध में देव प्रखंड क्षेत्र के किसान आनंद प्रसाद चौरसिया और संजय कुमार चौरसिया बताते हैं कि मिट्टी में समस्या के कारण पान किसान को काफी नुकसान हो रहा है. सरकार का ध्यान इस ओर नहीं हैं. सही मिट्टी नहीं होने के कारण उत्पादन नहीं हो पा रहा है और पौधा सूख रहा है. किसानों ने बताया कि देव प्रखंड क्षेत्र में फिलहाल 50 हजार वर्ग मीटर में मगही पान की खेती हो रही है, लेकिन हम लोग औने पौने दाम में ही पान को बाजारों में बेच रहे हैं. 200 पान पत्तों की एक ढोली होती है जिसकी बाजार कीमत 50 से 100 रुपये तक होती है.
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FIRST PUBLISHED : April 16, 2024, 10:36 IST