Opinion: सियासी तूफान महाराष्ट्र में लेकिन उसकी गूंज बिहार में, क्या पटना में सब कुछ ठीक-ठाक है?



nitish kumar tejaswi yadav Opinion: सियासी तूफान महाराष्ट्र में लेकिन उसकी गूंज बिहार में, क्या पटना में सब कुछ ठीक-ठाक है?

पटना से मुंबई के बीच की दूरी 1800 किलोमीटर है लेकिन महाराष्ट्र में हुई राजनीतिक घटनाओं की गूँज सबसे ज़्यादा बिहार में सुनी जा रही है. बीजेपी और महागठबंधन के दलों के बीच बयानबाजी नित दिन नए स्तर पर पहुँच गई है, हर दलों के अपने दावे और प्रतिदावे हैं. आखिर पटना में सियासी हड़कंप क्यों है? क्या पटना में वाकई कुछ महत्वपूर्ण घटने जा रहा है? जितने मुंह हैं, उतनी बातें हैं. चर्चा हो रही है कि अगर शरद पवार की पार्टी एनसीपी का दो-फाड़ हो सकता है तो बिहार में जनता दल (यू) कितना सुरक्षित रह गया है? खासकर जब इस तरह के दावे, बीजेपी एमपी सुशील मोदी, सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से किए जा रहे हों.

इन कयासों को पंख तो महाराष्ट्र में हुए उठापटक से पहले ही लग गए थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विधायकों और सांसदों से मिलना शुरू किया था. ये मुलाकातें पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री के निवास पर गुपचुप तरीके से हुई है. इन मुलाकातों को लेकर संदेह इसलिए भी गहराया क्योंकि कोई भी बड़ा नेता मुलाक़ात को लेकर बयान देने से बचता रहा. साथ ही पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.

नीतीश अपने विधायकों और सांसदों से मुलाक़ात कर रहे
कहने को कहा जा रहा है कि नीतीश अपने विधायकों और सांसदों से इसलिए मुलाक़ात कर रहे हैं कि राज्य में विकास कार्यों का जायजा लिया जा सके लेकिन सूत्र बताते हैं कि नीतीश अपने लोगों के “मन की बात” जानने की कोशिश कर रहे हैं. जब से जद (यू) राजद के साथ आया है, इस बात को लेकर पार्टी के अंदर संशय बना रहा है कि अगर जद (यू) और राजद का विलय हो गया तो जनता (दल) के नेताओं का क्या होगा? क्या नीतीश ने तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है?

जनता दल के अंदर असमंजस की स्थिति
जनता दल के अंदर असमंजस की स्थिति तब और अधिक प्रबल हो गई जब नीतीश कुमार ने कई बार बातों ही बातों में तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी करार दिया. क्या जनता दल (यू) के तमाम नेता और कार्यकर्ता नीतीश के इस घोषणा से सहमत होंगे, कहा नहीं जा सकता है. अगर जद (यू) और राजद का विलय होगा तो शर्तें क्या होंगी? क्या जद (यू) विधायक पाला बदलने की सोच रहे हैं?

बिहार में राजनीतिक गतिविधियां तेज
महाराष्ट्र में एनसीपी के दो-फाड़ होने के बाद बिहार में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गईं. बीजेपी के बड़े नेताओं की तरफ से दावे किए जाने लगे कि जद यू के विधायक उनके संपर्क में हैं तो क्या बिहार में कुछ होने जा रहा है? जद यू से जब आरसीपी सिंह बाहर निकले थे तब भी इस तरह की बातें की जा रही थीं. उपेंद्र कुशवाहा ने भी जब नीतीश का साथ छोड़ा तब भी लोग जद (यू) के टूट की बात कर रहे थे पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. आरसीपी और कुशवाहा जैसे लोगों का उत्साह ठंडा होता गया लेकिन जद (यू) के संभावित विघटन की खबर कभी खत्म नहीं हुई है.

विपक्ष की मुहिम के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह!
विपक्ष का मानना है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है और महाराष्ट्र की पुनरावृति बिहार में संभव है. पिछले वर्ष महागठबंधन की सरकार बनने के बाद यह ये चर्चा आम हो गई थी कि नीतीश कुमार अपनी सत्ता जल्द ही तेजस्वी को सौंप, राष्ट्रीय राजनीति करेंगे लेकिन तेजस्वी और सत्ता के बीच की दूरी बनी रही. नीतीश कब, क्यों और कैसे तेजस्वी को सत्ता सौपेंगे, इस चर्चा ने बिहार में राजनीतिक फिज़ा को गर्म कर दिया. तय फॉर्मूला के हिसाब से नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टी को एकजुट करने की भूमिका संभाल ली लेकिन तेजस्वी के भविष्य पर सवाल अपनी जगह कायम रहा. तेजस्वी कब सीएम बनेंगे, बनेंगे या नहीं इस पर चर्चा हर दिन होती है. पटना में चाचा- भतीजे के रिश्ते को लेकर हर दिन नए कयास लगते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी को जल्द से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा हुआ देखना चाहते हैं.

पटना में हुए महजुटान से क्या बदला?
पटना में 23 जून को हुए महजुटान के बाद विपक्षी दलों में ही कई तरह के मतभेद उभर के सामने आए हैं. ममता और अरविंद केजरीवाल के स्वरों में जहां बगावत की बू नजर आई, वहीं शरद पवार की पार्टी में उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत कर विपक्ष की मुहिम की कमजोर कर दिया है. पटना में भले ही नीतीश को सेंटर स्टेज मिल गया गया लेकिन बंगलुरु में नीतीश को वही अहमियत मिलेगी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. पटना में कहा गया कि विपक्षी दलों की बैठक शिमला में होगी लेकिन बैठक बंगलुरु में होना तय हुआ, इसकी घोषणा भी नीतीश कुमार ने नहीं, शरद पवार ने की. कहा ये जा रहा है कि काँग्रेस ने सब कुछ अपने हाथ में ले लिया है. एनसीपी में टूट और बंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक की खबरों के बीच फिलहाल, बिहार में सब कुछ सामान्य नहीं है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

Tags: Bihar politics, CM Nitish Kumar, Maharastra news, RJD leader Tejaswi Yadav



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