Our Lives At Stake Indian Students In Canada Face Deportation Risk – हमारी ज़िन्दगियां दांव पर… : कनाडा में भारतीय विद्यार्थी कर रहे डीपोर्टेशन के जोखिम का सामना



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विरोध करने वाले कई छात्रों का दावा है कि वे 2018 में कनाडा पहुंचे थे, लेकिन फर्जी पत्र अब सामने आए, पांच साल बाद, जब उन्होंने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया. NDTV से खास बातचीत में एक प्रदर्शनकारी छात्र चमनदीप सिंह ने कहा, “जब हम कनाडा पहुंचे, तो हमारे एजेंट ने हमें बताया कि जिन कॉलेजों के लिए हमें प्रवेश पत्र प्राप्त हुए थे, उनमें सीटें भरी हुई थीं. उन्होंने हमें बताया कि विश्वविद्यालयों में ओवरबुकिंग हो रही है, इसलिए वह हमें दूसरे कॉलेज में स्थानांतरित कर सकते हैं. चूंकि हम मौका खोना नहीं चाहते थे, इसलिए सहमत हो गए.”

उन्होंने कहा, “हमने कॉलेज बदला और अपनी पढ़ाई पूरी की, लेकिन तीन-चार साल बाद, हमें सीबीएसए द्वारा बताया गया कि जिस प्रवेश पत्र के आधार पर हमें वीजा मिला था, वह फर्जी था.”

एक अन्य प्रदर्शनकारी छात्र लवप्रीत सिंह ने दावा किया कि डेपोर्टेशन के डर ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाला है, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग आत्महत्या करने पर भी विचार कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा, “हम भारत सरकार से कनाडा सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध करते हैं. हम निर्दोष हैं और हमारे साथ घोटाला किया गया है. हमारा जीवन दांव पर है, कई लोग इसके कारण आत्महत्या तक कर सकते हैं. 700 एक अनुमान है, प्रभावित छात्रों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है. दरअसल, कई पीड़ित चुप हैं और आगे नहीं आ रहे हैं. मुझे 30 जून के लिए डेपोर्टेशन का नोटिस मिला है. हमने कनाडा आने के लिए अपनी जीवन भर की बचत लगा दी और अब हमें वापस जाने के लिए कहा गया है.”

NDTV के साथ बात करते हुए, पंजाब के एनआरआई मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने धोखाधड़ी को हाल के इतिहास में सबसे बड़े आव्रजन घोटालों में से एक करार दिया. धालीवाल ने कहा, “छात्रों ने कनाडा जाने के लिए बहुत पैसा खर्च किया है. कुछ परिवारों ने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए अपनी जमीन भी बेच दी.”

पंजाब एनआरआई मामलों के मंत्री ने विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर के हस्तक्षेप की मांग की है. धालीवाल ने कहा, “ये (700) छात्र निर्दोष हैं और इन्‍हें जालसाजों के गिरोह द्वारा धोखा दिया गया है. मैं बहुत आभारी रहूंगा यदि आप(जयशंकर) फिर से इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखेंगे और मामले को कनाडा के उच्चायोग और कनाडा सरकार सहित संबंधित एजेंसियों के साथ उठाएंगे, ताकि इन छात्रों को निर्वासित होने से बचाया जा सके.”

यह मुद्दा कनाडा की संसद तक पहुंच गया, जहां न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से पूछा कि क्या वह इन छात्रों के डेपोर्टेशन पर रोक लगाएंगे? प्रधानमंत्री ट्रूडो ने जवाब में कहा, “हमारा ध्यान दोषियों की पहचान करने पर है, न कि पीड़ितों को दंडित करने पर. हम अंतरराष्ट्रीय छात्रों द्वारा हमारे देश में लाए जाने वाले अपार योगदान को पहचानते हैं.”

पंजाब सरकार भी इस मामले में हस्तक्षेप के लिए केंद्र के पास पहुंची है.

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