अमेरिका में 30 संगठनों ने पारित किया भारत (India) के खिलाफ प्रस्ताव- गैर हिंदुओं पर हो रहा अत्याचार, ऐक्शन ले बाइडन सरकार; तीन सांसदों ने भी जताई चिंता

India: भारत सरकार ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि देश में अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मानवाधिकार आयोग हैं जो उल्लंघनों पर निगरानी रखते हैं। स्वतंत्र मीडिया है और गतिशील सिविल सोसाइटी है।

दुनियाभर के 30 से ज्यादा सिविल सोसाइटी संगठनों ने गुरुवार को एक साझा प्रस्ताव पास किया, जिसमें अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को धार्मिक मामलों में ‘विशेष चिंता वाले देश’ (कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न- CPC) के वर्ग में डालने की अपील की गई है। इसके अलावा भारत में गैर-हिंदुओं के साथ धार्मिक भेदभाव और उनके खुलेआम उत्पीड़न को बढ़ावा देने वालों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है।

बताया गया है कि यह प्रस्ताव अमेरिका में पहली बार हुई अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता समिट के दौरान पेश हुआ। इसमें शामिल हुए अलग-अलग धर्म के नेताओं ने भारत सरकार की आलोचना से बचने के लिए बाइडेन प्रशासन पर निशाना साधा। बता दें कि किसी भी देश को विशेष चिंता वाले देश का दर्जा सिर्फ अमेरिकी विदेश मंत्री की तरफ से दिया जा सकता है, वह भी सिर्फ तब जब उस देश में धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन के गंभीर मामले सामने आएं।संबंधित खबरें

  • अमेरिका ने माना चीन को चुनौती, भारत यात्रा का जिक्र कर बोले रक्षा मंत्री- हमारे सहयोगियों की वजह से हम ज्यादा मजबूत
  • USCIRF को वीजा से इनकार….सही नहीं सरकार

COVID-19LOCKDOWNPHOTOS

अगर अमेरिकी विदेश मंत्री किसी देश को धार्मिक मामलों में विशेष चिंता वाला देश करार देते हैं, तो इस बारे में अमेरिकी संसद को भी जानकारी दी जाती है। इसके बाद अमेरिकी सांसद आर्थिक और गैर-आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए ऐसे देशों पर धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखने का दबाव डालते हैं।

USCIRF कर चुका है ऐसी ही अपील: बता दें कि पिछले साल ही अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग USCIRF की रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता में कथित गिरावट के लिए देश को विशेष चिंता वाला देश (सीपीसी) के रूप में लिस्टेड करने का सुझाव दिया गया था। अगर अमेरिकी सरकार इस आयोग के प्रस्ताव को मान लेता, तो भारत को सऊदी अरब, चीन, पाकिस्तान, ईरान और ऐसे अन्य देशों के वर्ग में जगह मिलती। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया था।

डेमोक्रेट पार्टी के सांसदों ने भी जताई चिंता: उधर अमेरिका में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के तीन सांसदों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता प्रकट की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है, अभिव्यक्ति की आजादी पर कार्रवाई कर रही है। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है।

इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल द्वारा आयोजित ‘भारत में धार्मिक स्वतंत्रता : चुनौतियां और अवसर’ विषय पर सामूहिक परिचर्चा में डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद एड मार्के ने कहा, ‘‘मैं भारत में 20 करोड़ मुसलमानों सहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में काफी चिंतित हूं।’’ वहीं सांसद मेरी न्यूमन ने आरोप लगाया कि पिछले सात साल में सैकड़ों मुस्लिमों पर भीड़ ने हमला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह न्याय का मजाक है और यह खौफनाक है।’’

भारत ने नकारे सभी आरोप: भारत सरकार और अनेक भारतीय संगठनों ने इन आरोपों से इनकार किया है। अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि भारत में एक जीवंत मध्यम वर्ग और स्वतंत्र प्रेस है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक राज व्यवस्था में स्वतंत्र न्यायपालिका भी है। अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मानवाधिकार आयोग हैं जो उल्लंघनों पर निगरानी रखते हैं। स्वतंत्र मीडिया है और गतिशील सिविल सोसाइटी है।

सीएम ने कहा कि नई नीति में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। कई दशक से बढ़ती आबादी पर चर्चा की गई है। हमें बड़े स्तर पर जागरूकता लानी होगी, जिसके लिए प्रयास जरूरी हैं। बढ़ती आबादी की वजह से समाज में गरीबी समेत कई प्रमुख समस्याएं हैं। हमें दो बच्चों के बीच का अंतर भी रखना होगा। सीएम ने नई नीति लागू करने से पहले सुबह ट्वीट कर कहा था,

x