P-5 हद में रहे, अजहर मसूद हो या S-400 मिसाइल डील, हमारे हितों पर कोई वीटो नहीं लगा सकता, S जयशंकर की दहाड़
नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर कलात्मक जवाब में काफी माहिर माने जाते हैं. भारत की विदेश नीति पर सवाल खड़ा करने वाले या देश के खिलाफ बोलने वाले को सीधा जवाब देने से वे कभी नहीं चूकते हैं. कई मौकों पर उनकी वीडियो सामने आया है, जिसमें कि वे पश्चिमी मीडिया के सवालों का खरा जवाब देते दिख रहे होते हैं. वह मुंबई में शनिवार को आयोजित 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड वर्चुअली शामिल हुए थे. इस समारोह में उन्होंने विदेशी ताकतों पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि भारत देशहित के फैसले कभी भी ‘वीटो’ लगाने की अनुमति नहीं देगा. साथ ही बिना किसी विदेशी ताकत के इन्फ्लूएंस के राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए काम करता रहेगा.
एस जयशंकर का ये रिएक्शन पी-5 देशों यानी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ (UNSC) के 5 स्थाई देशों (चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन) को लेकर है. दरअसल, भारत को कई मौकों पर इन देशों खासकर चीन के वीटो का सामना करना पड़ा है. चीन ने पाकिस्तान के खूंखार आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग पर चार बार वीटो लगा चुका था, हालांकि, 2019 में पुलमावा आतंकी घटना के बाद और वैश्विक दबाव के सामने चीन को झुकना पड़ा था. अंततः अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया. वहीं, जब भारत ने रूस से एस-400 (S 400) मिसाइल प्रणाली की डील की थी, तब अमेरिका में बाइडेन सरकार ने आंख दिखाना शुरू कर दिया था, हालांकि भारत के सामने उनको भी झुकना पड़ा था और किसी प्रकार के प्रतिबंध पर सफाई देनी पड़ी थी.
ताकतवर विदेश नीति
ये दो खास मौके भारत के वैश्विक स्तर पर मजबूत प्रभाव और ताकतवर विदेश नीति को दर्शाता है. इसमें मोदी के हनुमान माने जाने वाले एस जयशंकर की भूमिका को नकार नहीं सकते हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को काफी मजबूत बनाया तभी तो वे यह कहने से नहीं चूके कि किसी डर की परवाह किए बिना अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वह करेंगे. भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं दे सकता है.
देशवासियों को विरासत पर गर्व करना होगा
मुंबई से वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि जब भारत वैश्विक चेतना में अधिक गहराई से अंकित हो जाता है, तो इसके परिणाम वास्तव में बहुत जबरदस्त होते हैं. अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली या बार-बार होने वाली जलवायु घटनाओं से जूझ रही दुनिया में भारत की विरासत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. दुनिया को इसकी जानकारी तभी होगी जब देशवासी इस पर गर्व करेंगे. वैश्वीकरण के युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ चलना होगा.
एसआईईएस अवार्ड
जयशंकर ने कहा, ‘भारत अवश्य ही प्रगति करेगा, लेकिन उसे अपनी भारतीयता खोए बिना ऐसा करना होगा. तभी हम बहुध्रुवीय विश्व में वास्तव में अग्रणी शक्ति के रूप में उभर पाएंगे. स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए.’ जयशंकर को 27वें ‘एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है. पुरस्कार का नाम कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा दिवंगत श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है.
ग्लोबाल साउथ की भलाई के लिए प्रतिबद्ध भारत
जयशंकर ने कहा कि भारत आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. एक तरफ, पिछले दशक ने दिखाया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है. भारत ने खुद को एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया है जो वैश्विक दक्षिण (Global South) की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने आगाह किया कि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें निराशावादी दृष्टिकोण और विचारधाराएं शामिल हैं जो भारत की प्रगति को कमजोर करती हैं. (पीटीआई से भी इनपुट)
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 12:16 IST