Paris Paralympics 2024: हरविंदर सिंह ने रचा इतिहास, भारत को आर्चरी में दिलाया पहला गोल्ड, ये कारनामा करने वाले बने पहले भारतीय तीरंदाज


नई दिल्ली. भारत के पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह ने पेरिस पैरालंपिक में इतिहास कायम किया है. हरविंदर ने पुरुषों के व्यक्ति गत रिकर्व स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है. ओलंपिक या पैरालंपिक में यह किसी भी भारतीय तीरंदाज का आर्चरी में पहला गोल्ड मेडल है. भारत ने इस तरह पेरिस में अपने गोल्ड की संख्या चार पर पहुंचा दिया है जबकि उसके कुल पदकों की संख्या 22 हो गई है. पेरिस पैरालंपिक में भारत ने अभी तक 4 गोल्ड, 8 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए हैं. हरविंदर ने फाइनल में पोलैंड के लुकास सिजेक को 6-0 से हराकर गोल्ड पर कब्जा जमाया.

इससे पहले,  हरविंदर सिंह (Harvinder Singh)  सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मद रेजा अरब अमेरी को 7-3 से हराकर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने. इस तरह उन्होंने पैरालंपिक में अपना लगातार दूसरा तीरंदाजी पदक सुनिश्चित किया. भारत के एकमात्र पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर ने सेमीफाइनल में पहले सेट में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ईरान के प्रतिद्वंद्वी को 25-26, 27-27, 27-25, 26-24, 26-25 से मात दी. उन्होंने क्वार्टरफाइनल में कोलंबिया के हेक्टर जूलियो रमीरेज को 6-2 से शिकस्त दी.

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हरविंदर ने चीनी ताइपे के सेंग लुंग हुई को 7-3 से पराजित करने के बाद प्री क्वार्टरफाइनल में इंडोनेशिया के सेतियावान सेतियावान को 6-2 से हराया. हरविंदर आठ अंक की खराब शुरुआत के बाद पहला सेट महज एक अंक (27-28) से गंवा बैठे लेकिन जल्द ही संयम बरतते हुए इंडोनेशियाई प्रतिद्वंद्वी को दबाव में ले आये और लगातार तीन 28 अंक बनाए. सेतियावान 25 और 27 अंक के बाद चौथे सेट में गलत तीर लगाकर सिर्फ 15 अंक ही बना सके.

इससे पहले चीनी ताइपे के तीरंदाज के खिलाफ पहला सेट 25-25 से ड्रा कराने के बाद हरविंदर ने दूसरे सेट में 27-26 की जीत से 3-1 से बढ़त बना ली. तीसरे सेट में लुंग हुई ने 29-26 की जीत से स्कोर 3-3 से बराबर कर दिया. लेकिन लुंग हुई अगले दो सेट में पिछड़ गये और हरविंदर ने संयम बरतते हुए 24-23 और 25-17 से सेट जीतकर मैच अपने नाम किया और अंतिम 16 में स्थान सुनिश्चित किया. रिकर्व ओपन वर्ग में तीरंदाज 70 मीटर की दूरी से खड़े होकर निशाना लगाते हैं.

हरियाणा में अजीत नगर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर जब डेड़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाये गये थे. दुर्भाग्य से इन इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई. शुरुआती चुनौतियों के बावजूद वह तीरंदाजी में आ गए और 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण में सातवें स्थान पर रहे. फिर 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे और कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें. हरविंदर ने तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया क्योंकि यह भारत का पहला तीरंदाजी पदक था. तीरंदाजी में सफलता के साथ वह अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री भी ले रहे हैं.

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