Patanjali Mis Leading Ad Case Supreme Court Said Submit Original Copy Of Newspaper Also Reprimanded IMA – पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा अखबार की ओरिजनल कॉपी जमा करें, IMA को भी लगाई फटकार


पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा अखबार की ओरिजनल कॉपी जमा करें, IMA को भी लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राज्य केवल फटकार के बाद ही जागा और उसे स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए थी.”

नई दिल्ली:

भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की गई. इस दौरान रामदेव और बालकृष्ण की ओर से उनके वकील मुकुल रोहतगी ने बहस शुरू की और अखबारों में छापे गए माफीनामे की कॉपी पेश की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने ओरिजनल कॉपी मांगी थी, वो कहां है? सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा कि ओरिजनल रिकॉर्ड क्यों नहीं दिया गया है और आपने ई फाइलिंग क्यों की है. इस पर वकील ने कहा कि उनकी अज्ञानता के कारण ऐसा हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनसे अखबार और उस दिन की तारीख का माफीनामा जमा करने के लिए कहा. 

यह भी पढ़ें

IMA अध्यक्ष के बयान के बारे में वकील ने अदालत को बताया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट IMA अध्यक्ष द्वारा मीडिया को दिए गए इंटरव्यू को गंभीरता से लिया है. SC ने कहा, “तो क्या IMA बताएगा कि हमें क्या टिप्पणी करनी चाहिए और हम  सुनवाई कैसे करें”? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष को “अधिक गंभीर परिणामों” के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी. बता दें कि IMA के अध्यक्ष अशोकन ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा था कि “ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है. हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है. शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था.”

सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के पत्र और पीएमओ के दस्तावेजों के बावजूद निष्क्रियता के लिए पूर्व उत्तराखंड ड्रग लाइसेंस प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक को फटकार लगाई. उत्तराखंड ने सुप्रीम कोर्ट को 14 पतंजलि उत्पादों के लाइसेंस निलंबित करने की जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राज्य केवल फटकार के बाद ही जागा और उसे स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए थी.” सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि पतंजलि की 14 दवाओं को कब तक के लिए निलंबित किया गया है और उन्होंने आयुष विभाग से इस पर 3 महीने के अंदर अपील दाखिल करने के लिए भी कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने मिथलेश कुमार ज्वाइंट डायरेक्टर से पूछा पिछले 9 महीनों में उन्होंने क्या कार्रवाई की है? कोर्ट ने कहा, आप ये बताओ की पिछले 9 महीने में क्या कार्रवाई हुई इसके बारे में हलफनामा दायर कर बताएं. अगर पिछले हलफनामे पर जाए तो आपने कोई कार्रवाई नहीं की? आप बाद में मत कहिएगा कि आपको मौका नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंसिंग अथॉरिटी से भी पूछा अगर आपने कार्रवाई की है तो ये बताइए की आपने निरीक्षण कहां किया, क्या कार्रवाई की. आपके पास PMO के पास से पत्र आया था क्या कार्रवाई हुई ये बताएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पिछले 10 से 12 दिनों में कार्रवाई हुई उन्हीं शिकायतों पर जो पहले दाखिल हुई थीं लेकिन पिछले 6 सालों में क्या हुआ? इस मामले में अब अगली सुनवाई 14 मई को होगी.

यह भी पढ़ें : 



Source link

x