PM से लेकर CM तक, सभी लगाते हैं पपलाज माता का जयकारा, जानें क्या है इसका इतिहास
पुष्पेंद्र मीना/दौसा: देश में अलग-अलग राज्यों, गांवों और कस्बों में हजारों देवी-देवता हैं. इन देवी-देवताओं के प्रति उस क्षेत्र के लोगों की गहरी आस्था और विश्वास होता है. इनमें से कई देवी-देवताओं के मंदिर तो सैकड़ों वर्ष पुराने होते हैं और उनका अपना इतिहास और उसके पीछे की कहानी होती है. ऐसी ही माता हैं पपलाज मां. तो चलिए आपको मां पपलाज के बारे में बताते हैं.
राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट की धरती पर सात शक्तिपीठों की मान्यता है, लेकिन सबसे ज्यादा मान्यता आंतरी क्षेत्र में बसी मां पपलाज की है. यहां पूरे राज्य भर से लाखों की संख्या में लोग मनौतियां मांगने के लिए आते हैं.
सैकड़ों वर्ष प्राचीन है मंदिर
जागा पोथी के अनुसार, पपलाज माता की मूर्ति तकरीबन 1100 वर्ष पहले स्थापित कई गई थी. हालांकि, पुरातत्व विभाग के अनुसार, इसे 970 वर्ष पूर्व स्थापित माना जाता है.
मन्नत पूरी होने पर भंडारा करते हैं लोग
मां पपलाज का मंदिर पहाड़ियों के बीच में स्थित है और रोजाना हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. पुजारी गिरिराज ने बताया कि पपलाज माता सबकी मन को पूरी करती हैं. जिनकी मन्नत पूरी होती हैं वो लोग माता के दरबार में भंडारा करते हैं. भंडारे में दाल पुआ और खीर पकवान बनाया जाता है. पहले पपलाज माता को भोग लगाया जाता है और फिर श्रद्धालु लोग प्रसादी ग्रहण करते हैं.
इस मंदिर में सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि राजस्थान के कई खास लोग भी आते हैं. पुजारी के मुताबिक, डॉक्टर किरोडी लाल मीणा, विधायक रामविलास मीणा, पूर्व मंत्री परसादी लाल मीणा सहित अनेक लोग यहां आते हैं और माता की पूजा करते हैं.
PM मोदी और प्रियंका गांधी ने भी मां के जयकारे से शुरू किया था भाषण
दौसा जिले में जब बड़े नेताओं का आना होता है तो अपने भाषण की शुरुआत वह पपलाज माता का जयकारा लगाकर शुरू करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब दौसा के मीणा हाईकोर्ट में पहुंचे थे तो उन्होंने भी पपलाज माता के जयकारे के साथ ही भाषण की शुरुआत की थी. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी दौसा में सभा को संबोधित करने पहुंची तो उन्होंने भी सबसे पहले पपलाज माता का जयकारा लगाया था. राजस्थान के मुख्यमंत्री मंत्री भी पपलाज माता का जयकारा लगाते हैं.
नव विवाहित जोड़े बैठकर सुनते हैं माता के पांच गीत
नव विवाहित दूल्हा महेंद्र मीणा ने बताया कि शादी होने के बाद लोग माता पपलाज के पास ढोक लगाने के लिए आते हैं, जिससे पूरा जीवन सुख, शांति और समृद्धि के साथ बीते. यहां पर माता के भक्तों द्वारा गेहरा और मजीरे बजाकर माता के गीत गाए जाते हैं. यहां दूल्हा-दुल्हन और उनके परिजन बैठकर पांच गीत भी सुनते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
पपलाज माता के दरबार में ये लोग आते हैं
माता के पुजारी रामकिशन ने बताया कि गूंगे, बहरे, अंधे, लकवा ग्रस्त, छोटे बच्चे, व्यापारी, नव-विवाहित जोड़े और अन्य अड़चनों से पीड़ित लोग माताजी के ढोक लगाने पहुंचते हैं. यहां मेला लगता है जो भाद्र पक्ष के शुक्ल पक्ष की छठ से शुरू होकर अष्टमी तक रहता है.
जल स्त्रोत के सपड़ावा से दूर होता है चर्मरोग
मंदिर के नीचे से जल स्त्रोत भी निकलता है. लोगों की मान्यता है कि जल स्रोत का सपड़ावा चर्मरोग को दूर करने में रामबाण साबित होता है.
मोबाइल से नहीं कर पाएंगे बात, सिर्फ फोटो खींचने के लिए आएगा काम
पहाड़ों के बीच स्थित पपलाज माता मंदिर का लगातार विकास होता जा रहा है. हालांकि, एक बात का ध्यान रखना होगा कि यहां न तो मोबाइल से बात हो पाती है और न ही इंटरनेट इस्तेमाल कर सकते हैं. दरअसल, मंदिर पहाड़ियों के बीच में स्थित होने से यहां किसी भी सिम में नेटवर्क नहीं आता है. यानी यहां फोटो खींचने, वीडियो बनाने के लिए तो मोबाइल इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन बात नहीं कर सकते.
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FIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 18:09 IST