UNGA में पीएम मोदी ने बोले – आतंकवाद, ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ हमेशा आवाज उठाता रहेगा भारत

नई दिल्ली: 

संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत आंतकवाद, ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों पर हमेशा आवाज उठाता रहेगा. संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पीएम मोदी ने सदस्य देशों को कहा, ‘भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स,मनी लाउंडरिंग के खिलाफ हमेशा उठती रहेगी.’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए. कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं. इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे. 

पीएम मोदी ने कहा कि विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे. हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है. उन्होंने कहा कि भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी.

पीएम मोदी ने कहा, पिछले आठ-नौ महीनों पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र कहां है? आज संयुक्त राष्ट्र में व्यवस्था बदलाव परिस्थिति की मांग है. स्वरूप में बदलाव की व्यवस्था कब पूरी होगी? भारत के लोग यूएन में सुधारों का इंतजार कर रहे हैं. 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, एक ऐसा देश यहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है. जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर प़ड़ रहा है. उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा. ‘UN में भारत की निर्णायक भूमिका कब? ‘ हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं. भारत वो देश है जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया है. आज प्रत्येक भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुए अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है. 

2 अक्टूबर को अंतराराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल भारत ने की थी. भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है. ना कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में. भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही है

इंडो पैसिफिक क्षेत्र के प्रति हमारे विचार में भी हमारे इसी दर्शन की सोच दिखाई देती है. भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो वो किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती. भारत जब किसी के साथ विकास की साझेदारी करता है तो उससे किसी साथी देश को पीछे करने की होड़ नहीं होती है. 

महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्म इंडस्ट्री ने दुनिया को दवाई पहुंचाई. भारत की वैक्सीन क्षमता पूरी दुनिया को इससे बाहर निकालेगी. अगले वर्ष जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा. दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जगाया है मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं.

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