PM Modi In US: Three Presidents Have Changed In The US, But Warmth Of Relations With PM Narendra Modi Is Still Intact – US में बदले तीन राष्ट्रपति, लेकिन नहीं बदली PM मोदी से रिश्ते की गर्मजोशी – जानें क्यों…?


US में बदले तीन राष्ट्रपति, लेकिन नहीं बदली PM मोदी से रिश्ते की गर्मजोशी - जानें क्यों...?

PM नरेंद्र मोदी से रिश्तों की गर्मजोशी अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ हमेशा बरकरार रही है…

नई दिल्ली:

साल 2005 का वक्त था. अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका आने के लिए वीसा देने से मना कर दिया था. वजह थे साल 2002 में हुए गुजरात दंगे. अमेरिका का यह रुख मई, 2014 तक कायम रहा. यही वह वक्त था, जब भारत में आम चुनाव हुए और नरेंद्र मोदी देश के चौदहवें प्रधानमंत्री चुने गए. इसके साथ ही अमेरिका ने पूरी तरह ‘यू-टर्न’ ले लिया और न सिर्फ मोदी का वीसा बहाल किया, बल्कि अब तो दोनों बांहें खोलकर उनका स्वागत भी करता है. जब से मोदी PM बने हैं, तब से अमेरिका में दो राष्ट्रपति बदल चुके हैं और तीसरे का कार्यकाल जारी है, लेकिन जो नहीं बदला है, वह है मोदी के प्रति गर्मजोशी. इसकी बड़ी वजह मोदी का मज़बूत नेतृत्व तो है ही, भारत का बढ़ता बाज़ार भी है. फिलहाल अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है. साल 2022 में तो दोनों देशों के बीच कारोबार का संतुलन भारत के पक्ष में भी आ गया, क्योंकि तब भारत 78.31 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को कर रहा था और आयात का आंकड़ा 50.24 अरब डॉलर का था.

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बात सही है कि इंटरनेशनल डिप्लोमेसी बहुत हद तक कारोबार से ही निर्धारित होती है, लेकिन PM मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपतियों के मामले में यह कुछ अलग रहा है. आइए जानते हैं, ओबामा से लेकर बाइडेन तक मोदी की केमिस्ट्री कैसी रही है…?

मोदी-ओबामा संबंध

बराक ओबामा साल 2016 तक अमेरिका की सत्ता पर काबिज रहे और PM मोदी साल 2014 में प्रधानमंत्री बने. इन दो सालों में दोनों नेताओं ने सात बार मुलाकात की. यह आंकड़ा दोनों देशों के किसी भी सर्वोच्च नेता के बीच हुई मुलाकात की सबसे अधिक संख्या है. सितंबर, 2014 में जब ओबामा के बुलावे पर PM मोदी वाशिंगटन पहुंचे, तो ओबामा खुद उनकी अगवानी के लिए गेट पर आए और गुजराती में पूछा – “केम छो…” यहीं से दोनों के बीच ऐसी केमिस्ट्री डेवलप हुई, जिसकी वजह से दोनों देशों के रिश्तों को नई उंचाई मिली. भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की सदस्यता दिलाने में ओबामा का अहम रोल रहा. इसके बाद जब ओबामा भारत आए, तो दोनों नेताओं ने एक साथ ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित किया. इसके बाद दोनों के बीच हुई ‘चाय पर चर्चा’ ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं. इसी दौरान इलाहाबाद, अजमेर और विशाखापत्तनम में स्मार्ट सिटी डेवलप करने का भी समझौता हुआ. मोदी और ओबामा हर मंच पर एक दूसरे को गहरा दोस्त बताते थे.

मोदी-ट्रंप संबंध

जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उनकी भी मोदी के साथ दोस्ताना केमिस्ट्री जारी रही. हालांकि कुछ मौकों पर ट्रंप ने भारत को लेकर आंखें तरेरीं, लेकिन मोदी के साथ उनके निजी रिश्ते हमेशा अच्छे बने रहे. मसलन – भारत-अमेरिका के बीच कारोबार असंतुलन, एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम या कई उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी का विवाद. ट्रंप ने अमेरिकी हितों की चिंता जताई, तो मोदी ने भारतीय हितों को तरजीह दी. इस खींचतान के बावजूद एक साल के भीतर दोनों नेताओं ने अमेरिका और भारत में दो रैलियों को साथ-साथ संबोधित किया. अमेरिका के ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम दोनों नेताओं की दोस्ती का गवाह बना. इस दौरान ट्रंप ने यह भी कहा – “व्हाइट हाउस में भारत का एक सच्चा दोस्त रहता है…” (देखें Photo Gallery)

मोदी-बाइडेन संबंध

तारीख थी 21 मई, 2023, और जगह थी जापान का शहर हिरोशिमा, मौका था QUAD शिखर सम्मेलन का. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा – “अमेरिका में (भारत के PM नरेंद्र) मोदी की लोकप्रियता बहुत ज़्यादा है, मैं आपका ऑटोग्राफ लेना चाहता हूं…” बाइडेन का बयान साफ़ दर्शाता है कि वह PM मोदी के साथ अपने संबंधों को कितनी अहमियत देते हैं. यह दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री ही है कि भारत ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा बोइंग डील किया, जिसके तहत एयर इंडिया 45.9 अरब डॉलर में 220 बोइंग विमान खरीदेगा. बाइडेन की पहल पर ही भारत QUAD जैसे अहम संगठन का सदस्य भी बना. बाइडेन के न्योते पर PM मोदी दूसरी बार अमेरिकी संसद को संबोधित करेंगे. ऐसा करने वाले वह दुनिया के तीसरे नेता होंगे. इससे पहले विंस्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला को ही यह सम्मान प्राप्त हुआ है. खुद बाइडेन भी सितंबर महीने में बतौर राष्ट्रपति भारत का दौरा करेंगे.



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