PM Modi Nomination In Varanasi BJP Solved Caste Equations Through The Proposer Of Nomination – Analysis: शास्त्री, पटेल, कुशवाहा और सोनकर- PM मोदी के 4 प्रस्तावकों में छिपी है BJP की पूरी सोशल इंजीनियरिंग



60d4ellg ganeshwar PM Modi Nomination In Varanasi BJP Solved Caste Equations Through The Proposer Of Nomination - Analysis: शास्त्री, पटेल, कुशवाहा और सोनकर- PM मोदी के 4 प्रस्तावकों में छिपी है BJP की पूरी सोशल इंजीनियरिंग

वाराणसी में कौन-कौन बने हैं पीएम मोदी के प्रस्तावक? 

प्रधानमंत्री के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक वहां मौजूद थे जिनका नाम पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर है. पंडित गणेश्वर शास्त्री ने ही अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था, ये ब्राह्मण समाज से हैं.बैजनाथ पटेल ओबीसी समाज से आते हैं और संघ के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं.लालचंद कुशवाहा भी ओबीसी समुदाय से हैं.संजय सोनकर दलित समाज से हैं.

पीएम मोदी ने एक साथ साधा कई समीकरण

साधारण तौर पर उम्मीदवार प्रस्तावकों को लेकर बहुत गंभीर नहीं होते हैं. इसी लोकसभा चुनाव के दौरान सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के प्रस्तावकों के हस्ताक्षर का मिलान नहीं हो पाया था.  हालांकि पीएम मोदी अपने कदमों से विरोधियों को चौकाते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने 4 प्रस्तावकों में से समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है. पंडित गणेश्वर शास्त्री के तौर पर उन्होंने ब्राह्मण समाज को संदेश दिया है. वहीं बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा के तौर पर उन्होंने ओबीसी जातियों के बीच एक मैसेज देने का प्रयास किया. वहीं दलित समाज से आने वाले संजय सोनकर के माध्यम से उन्होंने दलितों को संदेश दिया है. 

प्रस्तावक 4 राजनीतिक संदेश अनेक

पीएम मोदी ने 4 प्रस्तावकों के माध्यम से कई तरह के समीकरण को साधा है. जानकार इसे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग के तौर पर देख रहे हैं. साथ ही अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे को भी पीएम मोदी लोगों के बीच जिंदा रखना चाहते हैं. पंडित गणेश्वर शास्त्री प्रधानमंत्री के प्रस्तावक बने हैं. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था. ओबीसी समाज से आने वाले प्रस्तावक बैजनाथ पटेल और लालचंद कुशवाहा के मार्फत पीएम मोदी ने पूर्वांचल और बिहार की राजनीति को साधने की कोशिश की है. पूर्वांचल के क्षेत्रों में जहां पटेल वोटर्स की बहुलता रही है वहीं बिहार में कुशवाहा दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी जाति है. 

लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में लालू यादव ने कई कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. पिछले 3-4 चरणों में यह खबरें आयी थी कि कुशवाहा समाज जो कि पिछले चुनावों में बीजेपी के साथ मजबूती से रहा था वो जहां-जहां दूसरे दलों से कुशवाहा जाति के प्रत्याशी है उनकी तरफ भी आकर्षित हो रहा है. पीएम मोदी इस दांव से कुशवाहा जाति को साधने की कोशिश करते नजर आए.

वाराणसी सीट का क्या है जातिगत समीकरण? 

वाराणसी सीट पर पिछले 8 चुनावों में से 7 बार बीजेपी को जीत मिली है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 19.62 लाख मतदाता हैं. वाराणसी सीट पर शहरी आबादी 65 प्रतिशत है. इस सीट पर ओबीसी वोटर्स की संख्या काफी अधिक रही है. 2 लाख वोटर्स कुर्मी समाज से आते हैं. बैजनाथ पटेल कुर्मी समाज से आते हैं.वहीं 2 लाख वैश्य वोटर्स भी हैं. कुर्मी और वैश्य समाज के बाद ब्राह्मण और भुमिहार वोटर्स की संख्या रही है. 

कांग्रेस के जातिगत जनगणना के मुद्दे की काटने का प्रयास

कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत गणना और प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर बीजेपी को घेरते रहे हैं. पीएम मोदी ने संसद में कहा था कि उनकी नजर में देश में चार ही जाति है. नारी, युवा, किसान और गरीब यही चार इस देश में जातियां है. बिहार में हुए जातिगत गणना में ओबीसी और EBC समाज की आबादी लगभग आधी रही थी. प्रधानमंत्री ने अपने प्रस्तावकों में दो ओबीसी जाति के लोगों को जगह देकर सम्मान देने की कोशिश की है. 

2014 के चुनाव में चायवाले को बनाया था प्रस्तावक

प्रधानमंत्री मोदी प्रस्तावकों के माध्यम से एक मजबूत संदेश देते रहे हैं. 2014 में जब उन्होंने बड़ौदा से नामांकन किया था तो बड़ौदा के पूर्व राजघराने की राजमाता शुभांगिनी गायकवाड़, नीलाबेन देसाई, भूपेंद्र पटेल और किरण मीहड़ा. उनके प्रस्तावक रहे थे. इन 5 में से किरण मीहड़ा चाय बेचती थी. 2014 के चुनाव में पीएम मोदी के चाय वाले मुद्दे को काफी कवरेज मिली थी. पूरे देश में चाय को लेकर चर्चाए हो रही थी. प्रधानमंत्री ने अपने प्रस्तावक के माध्यम से इन चर्चाओं को अपने पक्ष में करने में कामयाबी हासिल की थी. 

पांचवें और छठे चरण को साधने की है कोशिश

20 मई को पांचवे चरण में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज ,अमेठी, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फेतहपुर, और गोंडा में चुनाव होंगे. वहीं छठे चरण में भी सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर और भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव होंगे. ये वो सीटें हैं जिन सीटों पर ओबीसी आबादी की संख्या कई जगहों पर 60 प्रतिशत से भी अधिक है. प्रधानमंत्री अपने प्रस्तावकों के माध्यम से इन सीटों के मतदाताओं को संदेश देना चाहते हैं. 

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