PM Modis Face… Amit Shahs Strategy And Chauhans Ladli Bahana Yojana, BJP Headed Towards Victory In MP Assembly Elections. – PM मोदी का करिश्मा… शाह की रणनीति और चौहान की लाडली बहना योजना, MP में शानदार जीत की ओर अग्रसर BJP


PM मोदी का करिश्मा... शाह की रणनीति और चौहान की लाडली बहना योजना, MP में शानदार जीत की ओर अग्रसर BJP

AssemblyElections2023: फिर चला पीएम मोदी का जादू

भोपाल: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्मा, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी ‘लाडली बहना योजना’ से भाजपा प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत की ओर अग्रसर है. यह योजना इस साल 10 जून को लागू की गई जिसके तहत महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये देने से शुरुआत हुई.  लाडली बहना योजना के अंतर्गत प्रदेश के 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 1.31 करोड़ महिलाओं को वर्तमान में 1,250 रुपये प्रति माह दिया जा रहा है. चौहान ने सत्ता में वापस आने पर इस योजना के तहत राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर प्रतिमाह 3,000 रुपये करने का वादा किया था. यह योजना भी कांग्रेस के सत्ता में आने के सपनों पर पानी फिरने की बड़ी वजह रही.

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मध्य प्रदेश की 230 सीट पर हुए चुनाव में खबर लिखे जाने तक भाजपा ने चार सीट जीत ली हैं और 162 सीट पर आगे है, जबकि कांग्रेस 62 सीट पर, बहुजन समाज पार्टी एक सीट पर आगे है. भारत आदिवासी पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की है.

चुनाव की घोषणा के बाद मोदी ने प्रदेश में 14 जनसभाओं को संबोधित करने के साथ-साथ एक रोड शो भी किया. मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा ने प्रधानमंत्री के करिश्मे पर काफी भरोसा किया है. उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ी. पार्टी के इस चुनाव प्रचार में ‘एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी’ मुख्य नारा रहा.

भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर के मद्देनजर मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री चौहान को अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था. 17 दिसंबर 2018 से 23 मार्च 2020 तक कांग्रेस शासन को छोड़कर भाजपा आठ दिसंबर 2003 से करीब उन्नीस साल से राज्य में सत्ता में है.

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मोदी ने तीन चुनावी रैलियों को संबोधित किया और एक रोड शो का नेतृत्व किया, जबकि शाह ने भी ऐसा ही किया. भाजपा के ‘चाणक्य’ माने जाने वाले शाह ने राज्य का व्यापक दौरा किया. टिकट बंटवारे के बाद असंतोष को दूर करने के लिए वह एक बार तीन दिन तक मध्यप्रदेश में रहे. उन्होंने बागियों को चुनाव मैदान से अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया.

सितंबर में शाह ने चुनाव प्रबंधन को नियंत्रित करने और रणनीतियों को तैयार करने का कठिन काम अपने ऊपर ले लिया. सत्ता विरोधी लहर को दूर रखने के लिए उन्होंने चौहान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया.

भाजपा के 2003 में सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका था जब भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा पेश नहीं किया. चौहान को चुनाव से पहले जनता तक पहुंचने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा का नेतृत्व करने के अवसर से भी वंचित कर दिया गया था. इसके बजाय, राज्य के पांच अलग-अलग इलाकों से पांच जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली गईं, जिन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केंद्रीय मंत्रीगण अमित शाह, नितिन गडकरी एवं राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाई.

शाह ने मध्य प्रदेश के लिए योजना बनाते समय कई समीकरणों का ध्यान रखा. मध्यप्रदेश में भाजपा 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से कांग्रेस से हार गई थी, जिसके चलते कमलनाथ के नेतृत्व में तब कांग्रेस सरकार बनी थी. लेकिन 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ करीब 22 कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे, जिसके चलते कांग्रेस सरकार गिर कर 23 मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में फिर भाजपा सत्ता में वापस आई.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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