Pollution, Healthcare, Public Transport Are Big Issues For Noida Voters – नोएडा के मतदाताओं के लिए प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवा, सार्वजनिक परिवहन हैं बड़े मुद्दे
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महेश शर्मा ने 2014 और 2019 में यहां लोकसभा चुनाव जीता और तीसरे कार्यकाल के लिए प्रयास कर रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के महेंद्र नागर और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राजेंद्र सोलंकी भी इस सीट पर चुनावी मैदान में हैं. दिल्ली से सटे इस शहरी निर्वाचन क्षेत्र को उत्तर प्रदेश की वित्तीय राजधानी के रूप में जाना जाता है, जिसका श्रेय यहां बड़ी संख्या में उद्योगों, कारखानों और ऊंची इमारतों को जाता है.
‘नोएडा फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा, ‘‘मध्यम वर्गीय परिवारों, विशेष रूप से फ्लैट में रहने वाले लोगों के लिए जीवनयापन को आसान बनाना हमारे जन प्रतिनिधियों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. यह अच्छी गुणवत्ता वाले पेयजल और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा को लेकर बुनियादी ढांचा प्रदान करने से शुरू होता है.”
सिंह ने ऊंची इमारतों वाली सोसायटी के निवासियों की शीर्ष अपेक्षाओं के रूप में अग्नि दुर्घटनाओं से सुरक्षा, सुचारू लिफ्ट संचालन, इमारत की ढांचागत सुरक्षा और अपशिष्ट प्रबंधन तथा साफ-सफाई की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘हमें नोएडा को विश्वस्तरीय शहर बनाने के साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है.”
नोएडा के निवासी ब्रजेश शर्मा ने कहा कि एक जन प्रतिनिधि को मुस्तैद रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर लोगों के लिए सुलभ होना चाहिए और उसे ‘‘प्रधानमंत्री की उपलब्धियों को अपनी उपलब्धि के रूप में नहीं दिखाना चाहिए.” शर्मा ने कहा, ‘‘बुनियादी ढांचे का विकास, मेट्रो, अंतिम-गंतव्य तक कनेक्टिविटी, सार्वजनिक परिवहन, पानी, प्रदूषण, बिजली बिल, सोसायटी से संबंधित मुद्दों, रोजगार, स्वास्थ्य और उच्च और निचले स्तर पर सरकारी शिक्षा को लेकर दीर्घकालिक रूप से काम किया जाना चाहिए.”
सेक्टर-77 के निवासी अमित गुप्ता ने प्रमुख मुद्दों में प्रदूषण, यातायात जाम, शहर की सड़कों और फुटपाथ पर अतिक्रमण, साफ-सफाई की कमी और ज्यादा टीडीएस वाले पानी जैसे मुद्दे उठाए. गुप्ता ने कहा, ‘‘प्रदूषण का मुद्दा किसी के लिए प्राथमिकता नहीं है. अक्टूबर से फरवरी तक इतना प्रदूषण रहता है कि हर कोई चिंतित हो जाता है. हालांकि, प्रदूषण पूरे साल की समस्या है.”
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ग्राम पंचायतें या नगर निगम नहीं हैं और यह भी कई लोगों के लिए एक मुद्दा है. रोहिलापुर गांव के निवासी रंजन तोमर ने ‘‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण” की प्रणाली की वकालत करते हुए कहा कि सांसद को स्थानीय नोएडा प्राधिकरण के साथ गांवों के मामले उठाने चाहिए. पेशे से वकील और ‘नोएडा विलेज रेजिडेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष तोमर ने कहा, ‘‘वस्तुतः जमीनी स्तर पर कोई संवैधानिक लोकतंत्र नहीं है.”
उन्होंने कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर सांसद को पुलिस, नोएडा प्राधिकरण और जिला प्रशासन के साथ सीधे बैठक संभव बनाने के लिए अधिक उपलब्ध रहना चाहिए.” तोमर ने कहा कि गांव के उन निवासियों से किए गए वादे पूरे किए जाने चाहिए जिनकी जमीनें अधिग्रहीत की गई थीं और जिन्हें बदले में नौकरियों और स्कूलों में उनके बच्चों को दाखिले का आश्वासन दिया गया था. उन्होंने कहा कि किसानों के अधिकारों पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
नोएडा एक्सटेंशन निवासी श्वेता भारती ने कहा कि नया शहर, जहां लाखों की आबादी बस गई है, वहां एक भी सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल नहीं है. उन्होंने कहा कि इसमें गंगा से पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति, अच्छे सार्वजनिक परिवहन का भी अभाव है. उन्होंने कहा, ‘‘ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) को मेट्रो से जोड़ने के कई वादे किए गए, लेकिन कुछ नहीं किया गया. बड़ी आबादी के कारण लोगों को हर दिन यातायात जाम की समस्या से जूझना पड़ता है.”
भारती ने कहा कि धूल और प्रदूषण भी यहां एक बड़ी समस्या है, जिसे सुलझाने की किसी ने गंभीरता से कोशिश नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘‘फ्लैट खरीदारों की अनदेखी का असर इस बार गौतम बुद्ध नगर के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. इस चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य और शहर का विकास मेरे लिए मुख्य मुद्दे होंगे.” नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स एंड मेंबर्स एसोसिएशन (एनईएफओएमए) के अध्यक्ष अन्नू खान ने भी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर अफसोस जताया.
उन्होंने कहा, ‘‘मेट्रो की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या है, जिसके लिए मैंने पिछले महीने संसद में सांसद हरदीप पुरी सिंह से मुलाकात की और उन्हें समस्या से अवगत कराया. ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कोई सामुदायिक हॉल नहीं है. कोई सरकारी कॉलेज, कोई बड़ा सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल नहीं है. कोई बड़ा पार्क नहीं है. श्मशान भी नहीं है.” नोएडा निवासी नवीन दुबे ने कहा कि गौतम बुद्ध नगर में रजिस्ट्री में देरी और खरीदारों को फ्लैट का कब्जा देना सबसे बड़ा मुद्दा है.
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