Pradosh Vrat 2024: शुक्र प्रदोष व्रत आज, शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक करें शिव पूजा, मिलेगा सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद

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हाइलाइट्स

शुक्रवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं.
शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ समय: आज, शाम 06:34 पीएम से रात 08:55 पीएम तक.

आज 22 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत है. यह मार्च और फाल्गुन माह का अंतिम प्रदोष व्रत है. इस दिन व्रत रखते हैं और प्रदोष काल के मुहूर्त में भगवान​ शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करते हैं. पूजा के दौरान शुक्र प्रदोष व्रत की कथा सुनते हैं और शिव मंत्र का जाप करते हैं. शुक्रवार के दिन होने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं. इसको करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत हर मा​ह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत और पूजा विधि, शुक्र प्रदोष की पूजा का समय आदि के बारे में.

शुक्र प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: आज, सुबह 04:44 एएम से
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: कल, सुबह 07:17 एएम पर
शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ समय: आज, शाम 06:34 पीएम से रात 08:55 पीएम तक
रवि योग: कल, प्रात: 04:28 एएम से सुबह 06:21 एएम तक
आज का शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:04 पीएम से दोपहर 12:52 पीएम तक
आज ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:48 एएम से 05:35 एएम तक

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शुक्र प्रदोष व्रत और पूजा विधि
1. जिन लोगों को शुक्र प्रदोष व्रत रखना है, वे आज प्रात:काल में स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें. उसके बाद सूर्य देव की पूजा करें और उनको जल अर्पित करें. फिर शुक्र प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें.

2. सुबह में भगवान शिव की दैनिक पूजा कर लें. पूरे दिन भर फलाहार पर रहें. शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा शाम को होती है. इसलिए पूजा सामग्री का पहले से प्रबंध कर लें.

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3. शाम के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का जल और गाय के दूध से अभिषेक करें. उसके बाद भोलेनाथ को बेलपत्र, फूल, फूल, अक्षत्, शहद, चंदन, भांग, मदार आदि अर्पित करें. माता पार्वती को सिंदूर, अक्षत्, फल, फूल, धूप, दीप, श्रृंगार सामग्री आदि चढ़ाएं. दोनों को मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं.

4. इस दौरान आप ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. शिव और पार्वती चालीसा का पाठ करें. फिर शुक्र प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. उसके बाद शिव और गौरी की आरती करें.

5. पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना करें. फिर शिव जी से अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांग लें. उसके बाद रात्रि जागरण करें. फिर अगले दिन सुब​ह में स्नान-दान करें. उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. यह पारण सूर्योदय के बाद कर लें.

Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion

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