(Bobby Deol) बॉबी देओल का यह ‘आश्रम’, जिसे खंडहर से महल बनाने में 4-5 महीने लग गए
Bobby Deol starrer Ashram story which was ruinous palace in Ayodhya: बॉबी देओल के ‘आश्रम’ की शूटिंग जहां हुई है, यह पहले एक खंडहर था। शो के निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा ने सुनाई है इस खंडहर से महल बनने की कहानी।
बॉबी देओल ने अपने वेब सीरीज़ ‘आश्रम’ के पहले सीरीज़ में खूब सफलता पाई है और अब फैन्स को अगले सीरीज़ का बेसब्री से इंतज़ार है। इस पॉप्युलर शो का अगला एपिसोड 11 नवंबर को केवल MX Player पर रिलीज़ होनेवाला है। यहां हम दिखा रहे हैं उस आश्रम की तस्वीरें, जहां इस शानदार वेब शो की शूटिंग की गई है।
यह खूबसूरत आश्रम, जो पहले एक खंडहर था
देखिए बॉबी देओल का यह खूबसूरत आश्रम, जो पहले एक खंडहर था। शो के निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा ने सुनाई है इस खंडहर से महल बनने की खूबसूरत कहानी।
जहां आस्था का अंधविश्वास है और साजिशें हैं
प्रकाश झा की यह वेब सीरीज ‘आश्रम’ की कहानी एक ऐसे आश्रम की है, जिसमें आस्था का अंधविश्वास है, साजिशें हैं और बाबा निराला का बनाया कानून और उनका ही न्याय है।
यह कभी राज सदन नाम का एक विशाल महल था
जिस आश्रम की खूबसरती देख दर्शकों की आंखे चौधिया गईं, क्या आप जानते हैं कि ये आश्रम अयोध्या में स्थित एक जर्जर अवस्था में कभी राज सदन नाम का एक विशाल महल था। ‘आश्रम’ की शूटिंग के पहले यह एक डरावना खंडहर ही था। लेकिन प्रकाश झा को इस खंडहर में ‘आश्रम’ को खूबसूरती पहली ही नजर आ गई और उन्होंने इसे महल बना दिया ।
एक महीने तो इस महल की सफाई में लगे
हालांकि, इस महल में शूट करना बहुत मुश्किल था क्योंकि महल की अवस्था बहुत ही खराब थी जहां पर जंगली झाड़ियां, बंदरों और कबूतरों का घर और टूटी फूटी दीवारें थीं। 1 महीने तो इस महल की सफाई में लगे और करीब 4-5 महीने लग गए इसे संवारने में , तब जाकर कहीं महल की खूबसूरती लौट सकी।
‘आश्रम’ की शूटिंग का सबसे खूबसूरत नजारा
‘वह महल बहुत ही जर्जर अवस्था में था’
राज सदन महल की कहानी सुनाते हुए प्रकाश झा ने कहा, ‘राज सदन में मुझे सारी संभावनाएं नजर आई। जिस तरह की कल्पना हमने की थी सब वहां आसानी से सेट हो रही थी। वह महल बहुत ही जर्जर अवस्था में था, लेकिन ये महल बहुत ही खूबसूरत था’
‘अगर ये पैलेस नहीं होता तो शायद आश्रम इतना सुंदर नहीं हो पाता’
उन्होंने कहा, ‘हमने सोचा कि कोई भी धर्म या पंचायत से जुड़ा हुआ रंग का इस्तेमाल नहीं होगा, हमने प्रकृति को समझा और उसकी विकृति को समझा और फिर हमने रंगों का चुनाव किया । महल भले जर्जर अवस्था में था, लेकिन हाथी तो हाथी होता है। अगर ये पैलेस नहीं होता तो शायद आश्रम इतना सुंदर नहीं हो पाता।’