Prayagraj Mahakumbh-2025: झांसी में राई लोकनृत्य कार्यशाला की शुरुआत, बुंदेलखंड में आज भी जीवित परंपरा


झांसी. योगी सरकार द्वारा प्रयागराज महाकुंभ -2025 के आयोजनों की श्रृंखला में सोमवार को झांसी के आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर में 15 दिवसीय राई लोक नृत्य प्रस्तुति परक कार्यशाला की शुरुआत हुई. संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय झांसी के संयुक्त तत्वावधान में प्रयागराज महाकुंभ 2025 और मिशन शक्ति के अंतर्गत 14 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक कार्यशाला आयोजित होगी. कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने कुंभ की परंपरा, राई नृत्य की विशेषता और कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला जबकि महाविद्यालय की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.

कार्यक्रम में उपस्थित राजकीय संग्रहालय झांसी के उप निदेशक डॉ. मनोज कुमार गौतम ने अपने सम्बोधन में कहा कि धार्मिक पर्यटन का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है और इसी के साथ हम अपनी संस्कृति को भी संरक्षित कर रहे हैं. संस्कृति विभाग लखनऊ से आए प्रतिनिधि मनोज सक्सेना ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ -2025 के अवसर पर पूरे प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.

लोक नृत्य हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्ति ने कहा कि लोक नृत्य हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसी को ध्यान में रखते हुए यहां कार्यशाला की शुरुआत किया गया है. महाकुंभ प्रयागराज 2025 के अंतर्गत पूरे प्रदेश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होने हैं और झांसी में भी इस कार्यशाला के बाद कई कार्यक्रमों की तैयारी चल रही है. कार्यशाला की मुख्य प्रशिक्षक वंदना कुशवाहा ने कहा कि इस कार्यशाला में हिस्सा लेने वाली छात्राओं को बेहतर प्रशिक्षण देने का उनका प्रयास होगा.

बुंदेलखंड की परंपरा को दर्शाती है राई 
बुंदेलखंड महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर एसके राय ने कहा कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री का उद्देश्य है कि हमारी नई पीढ़ी को संस्कृति के बारे में जानकारी दी जाए. आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अलका नायक  ने कहा कि राई नृत्य बुंदेलखंड का परम्परागत लोकनृत्य है. जब हम बहुत आनंदित होते थे या फसलें कटती थी, तब हम इसका प्रदर्शन करते थे.

महाकुंभ हमारी धरोहर
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि राई नृत्य बेड़िया जनजाति का लोकनृत्य है. इनका झांसी में एक और ललितपुर में दो गांव हैं, जिन्होंने इस नृत्य को किस तरह से जीवित रखा होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप सरावगी ने अपने सम्बोधन में कहा कि महाकुम्भ प्रयागराज हमारी धरोहर है. संस्कृति और संस्कार बचाने के लिए ऐसे आयोजन जरूरी हैं. संस्कार विहीन हो जाने पर किसी तरह का सम्मान नहीं रह जाता.

बच्चों ने दी प्रस्तुतियां
कार्यक्रम के दौरान पायल विश्वकर्मा, रूबा खान और कंचन वाल्मीकि ने सांस्कृतिक और बुंदेली कार्यक्रम प्रस्तुत किए. कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपमाला दुबे ने किया जबकि अतिथियों का आभार कार्यशाला समन्वयक देवराज चतुर्वेदी ने व्यक्त किया. कार्यक्रम में रंगकर्मी आरिफ शहडोली, पर्यटन विशेषज्ञ प्रदीप तिवारी समेत महाविद्यालय की छात्राएं, शिक्षिकाएं, स्थानीय संस्कृतिकर्मी और कलाकार मौजूद रहे.

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