Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज की क्या है अंतिम इच्छा? राधारानी के भक्तों के बीच बताई अपने मन की बात



Premanand Ji Maharaj Last Wish 2024 12 e96ba90e38ab01ba853c06d332d404be Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज की क्या है अंतिम इच्छा? राधारानी के भक्तों के बीच बताई अपने मन की बात

Premanand Ji Maharaj Last Wish: राधारानी जी के भक्त प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं को उनके प्रश्नों के उत्तर देते हैं, जिससे लोग बहुत प्रभावित होते हैं. उनके सहज और सरल वचन, भगवद भक्ति के उपाय, उपदेश से उनके अनुयायियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. वे राधारानी के दरबार में आने वाले सभी लोगों के मन में आने वाले प्रश्नों का उत्तर देकर उनको संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं. वे सभी को एक ही मंत्र देते हैं- नाम जप करो. राधारानी के नाम का जप करने से जीवन के सब दुख दूर होंगे और हर शुभ इच्छा की पूर्ति होगी. एक दिन एक श्रद्धालु ने प्रेमानंद जी महाराज से उनकी अंतिम इच्छा पूछ ली. इस पर प्रेमानंद जी महाराज का दिया गया जवाब वायरल हो रहा है.

प्रेमानंद जी महाराज की अंतिम इच्छा
एक व्यक्ति ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा कि आपका अंतिम समय हो तो आप राधारानी जी से क्या मांगेंगे? आपकी अंतिम इच्छा क्या होगी? इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि उनकी तो अंतिम इच्छा हो गई. प्यारी जी से मुझे मिल गईं. अब उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए हम हैं. अब हम अपनी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए थोड़े हैं. अब तो हम जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच रहे हैं तो ये उन्हीं के बल से ये सेवा हो रही है. वही सेवा करा रही हैं, यही उनकी अंतिम इच्छा है.

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प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि अगर श्रीजी उनसे पूछें कि तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है? तो हम उनसे पूछेंगे कि आपकी अंतिम इच्छा क्या है? इस शरीर का अंत होने जा रहा है, अब आप आखिरी सेवा क्या लेना चाहती हैं.

भगवद प्राप्ति के बाद भी कुछ लेना चाहते हैं?
इस सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने उदाहरण देते हुए कहा कि इस घड़ी के सेल को निकाल दो तो क्या घड़ी में ताकत है कि वो अपने सुइयों को घूमा सके. देह का अभिमान प्रभु के चरणों में चला गया तो सब खत्म हो गया. अब बिना इच्छा के इच्छा होती है.

श्रीजी की इच्छा सर्वोपरि
अब हमारी जो हम इच्छा थी, वो श्रीजी के चरणों में गई और अब श्रीजी की इच्छा सर्वोपरि है. अब श्रीजी कहेंगी कि श्री गिरिराज जी की तहलटी में पद गाए जाएंगे, आज राधाकुंड में श्रीजी की आरती, श्रृंगार और सुधा निधि का पाठ होगा. यह हमारी इच्छा थोड़ी है, यह हमारी श्रीजी की इच्छा है. अब वह वहां बैठकर शोभा विस्तार सुख विधि प्रदान करना चाहती हैं. अब हमारी इच्छा नहीं है.

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श्रीजी आपको अपने पास क्यों बुला रही हैं?
एक श्रोता ने सवाल किया कि जब श्रीजी आपसे सबकुछ करा ही रही हैं तो आपको अपने पास क्यों बुला रही हैं? इस पर प्रेमानंद जी ने कहा कि अपने प्यारे को दूर कैसे रखा जा सकता है? हम कार्य में दूर लगाए हुए हैं किसी को, पर हमारी उस पर दृष्टि है, जब वह पूर्ण कार्य कर लेता है, तो बहुत प्यार करके उसे अपने पास बुलाकर हृदय से लगा लिया जाता है. तू मेरी आज्ञा में रहा, तू सतत मेरे में रहा, अब आ मेरे पास रह. मेरे सेवा में रह. अतिशय प्रेमी को दूरी बर्दाश्त नहीं होती है, इसलिए हमें बुला लेती हैं.

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