Premanand Maharaj: महाराज! मुझे स्त्रियों से नहीं, पुरुषों से आकर्षण है? प्रेमानंद जी ने युवक से कहा- बहुत गलत हो जाएगा
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Premanand Maharaj: एक युवक ने प्रेमानंद जी महाराज से अपने मन की पीड़ा और समस्या को साझा किया. उसने कहा कि उसके घर वाले उसकी शादी करना चाहते हैं, उसका मन नहीं है. समस्या यह है कि उसे स्त्रियों से नहीं, पुरुषों से आकर्षण है?…और पढ़ें
वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन को लोग बड़े ध्यान से सुनते हैं. बहुत सारे लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुंचते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनसे उसका कोई समाधान मिल जाएगा या मन की उलझन दूर हो जाएगी क्योंकि प्रेमानंद जी सीधी और सपाट बात करते हैं. उनके सुझाव भी सबसे सरल होते हैं. इसी क्रम में एक युवक ने प्रेमानंद जी महाराज से अपने मन की पीड़ा और समस्या को साझा किया. उसने कहा कि उसके घर वाले उसकी शादी करना चाहते हैं, उसका मन नहीं है. समस्या यह है कि उसे स्त्रियों से नहीं, पुरुषों से आकर्षण है? ऐसी स्थिति में क्या करें? इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने उससे क्या कहा? आइए जानते हैं-
लड़की से धोखेबाजी न करें
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि ऐसे ही एक और लड़का आया था, उसने कहा कि उसके मम्मी और पापा उसकी शादी करना चाहते हैं, लेकिन लड़कियों के प्रति उसका कोई आकर्षण नहीं है, बल्कि वह लड़कों के प्रति आकर्षित होता है. ऐसे लोगों से हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान ने आपके अंदर ऐसी वृत्ति या भावना दी है, तो फिर आप किसी लड़की के जीवन में ऐसी धोखेबाजी न करें. आप उसे धोखा न दो.
लड़की की जिंदगी को नरक मत बनाओ
प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि आप अपने मम्मी और पापा से अपने मन की पूरी बात शेयर कर दो. आप ब्याह बिल्कुल मत करो. आप विवाह करके उस लड़की को अपने घर में बैठाकर उसकी जिंदगी को नरक मत बनाओ.
माता-पिता से प्रेमानंद जी की प्रार्थना
वह लड़का कहने लगा कि शर्म आती है माता-पिता से ऐसा बोलने में. इस पर प्रेमानंदी ने कहा कि क्या तुम्हें दूसरे की जिंदगी खराब करने में शर्म नहीं लगती है? यदि आपके मन में ऐसी वृत्ति है तो आपको अपने माता-पिता को बताना इज्ज्त पर धब्बा नहीं है. इसमें कोई शर्मिंदगी नहीं है. माता और पिता से प्रार्थना है कि आप अपने बच्चे की बात को समझने की कोशिश करें. उसके स्वाभाव की रचना ही ऐसी हुई है, क्या आप डांट डपटकर उसके स्वभाव को बदल सकते हो? नहीं. एक दूसरे को सपोर्ट करके चलोगे तो अच्छा रहेगा.
ऐसे लोग अपने मन की वृत्ति को कैसे संभालें?
महाराज जी से पूछा गया कि ऐसे लोग अपने मन के अंदर की इस वृत्ति को कैसे संभालें. इस सावल पर प्रेमानंद जी ने कहा कि इसका एक मात्र उपाय भगवान का भजन है, यही संभाल सकता है, नहीं तो बहुत कठिन है. अगर संभाल सके तो यह सबसे बड़ी विजय होगी.
बहुत गलत हो जाएगा
कलियुग है, इसमें भगवान ने अलग अलग रीतियां चला दी है, स्त्री स्त्री से मोहित हो रही है और पुरुष पुरुष से मोहित हो रहे हैं. ऐसे भाई, ऐसी बहनें अपने परिवार से अपने मन की वृत्ति को व्यक्त कर दें. आपको पुरुष प्रिय नहीं है और आप ब्याह करके गई हैं और उससे नफरत करेंगी, बहुत गलत हो जाएगा. आपको स्त्री से प्रेम नहीं है और आप उससे नफरत करेंगे, बहुत गलत हो जाएगा. आप अपनी रुचि के अनुसार संबंध रखें, विपरीत संबध रचकरके आप दूसरे को दुख न दें.
January 18, 2025, 10:03 IST