Public Opinion: शारदा जी का गाना गा रहे हैं तो अंदर से रोआई छूट रहा है… बहुत बड़ा नुकसान हो गया
पलामू: झारखंड और बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम है. मगर, इसी बीच एक दुखद खबर ने व्रतियों का दिल तोड़ दिया. लाखों की संख्या में व्रती महिलाओं की आंखें नम हो गईं. भारत की महान लोक गायिका और बिहार कोकिला शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं. मंगलवार की देर शाम दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया. बीते 12 दिन से वह अस्पताल में भर्ती थी. छठ 2024 के पहले दिन ही रात को छठी मैया ने उनको अपने पास बुला लिया.
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के हुलसा जिले में हुआ था. शारदा सिन्हा ने बिहार की परंपरा और संस्कृति को अपने संगीत से सींचा है. जहां भी छठ का पर्व मनाया जाता है, वहां पहला गीत शारदा सिन्हा का ही बजता है. छठ के पहले दिन उनका दुनिया से अलविदा कहना व्रती महिलाओं को अखर रहा है. महिलाएं शारदा सिन्हा के गीत गाकर उनको याद कर रही हैं, रो रही हैं. अपना दुख प्रकट कर रही हैं.
गीत गाते-गाते भर आईं आंखें
पलामू की रहने वाली आरती तिवारी ने बताया, वह कई वर्षों से छठ पर्व कर रही हैं. उन्हें भी शारदा सिन्हा का हर गीत पसंद आता है. छठ के मौके पर वो उनका ही गीत गाती और सुनती हैं. मगर, उनके निधन के बाद एक उदासी का माहौल है. उनका गीत भी गा रहे हैं तो अंदर से रोना आ रहा है. गीत भी ठीक ढंग से सुन नहीं पा रहे हैं.
छठ की आस्था जगा देते थे गीत
अनिल तिवारी ने कहा, शारदा सिन्हा स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध थी. अब उनकी याद हमारे साथ रहेगी. बिहार की परंपरा और संस्कृति को वह आगे बढ़ाती थीं. छठ का पहला गीत इनका ही आया था. आज भी हर जगह छठ के आवास पर शारदा सिन्हा का गीत बजता है. उनका छठ गीत सुनने वाले की आस्था जाग उठती है.
छठी मैया की पुत्री थी स्वर कोकिला
सेवानिवृत अंचल अधिकारी राजेंद्र कुमार झा ने कहा, सुप्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा छठी मैया की अप्रतिम पुत्री थी, इसलिए छठी मां ने अपनी बेटी को छठ पर अपने पास बुला लिया. उनकी आवाज हमारे बीच हमेशा गूंजती रहेगी. शारदा सिन्हा भारत की महान लोक गायिका थीं. लोकप्रिय छठ गीतों के कारण उन्हें भारत नहीं अपितु पूरा विश्व जानता है. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं उनकी राग और गीत को सुनने के लिए लालायित रहते हैं. जब भी छठ का त्योहार आता है तो पहला गीत उनका ही बजता है. भोजपुरी गायन के क्षेत्र में कई गायक उभरे मगर उनके जैसा आज तक कोई पैदा नहीं हुआ.
दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
बता दें कि मंगलवार को देर शाम शारदा सिन्हा ने दिल्ली के एम्स में दम तोड़ा. स्वर कोकिला शारदा सिन्हा पद्मश्री और पद्म विभूषण से सम्मानित थी. 26 अक्टूबर को एम्स के कैंसर सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी वार्ड में भर्ती हुई थी, जहां उन्हे ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया था. जिसके बाद उनकी स्थिति ठीक होने के बाद प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया. मगर अचानक सोमवार की देर शाम उनकी तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उनके आईसीयू में ले जाया गया. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
FIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 16:54 IST