QS World Future Skill Index 2025: Indian Professionals Ranked Second After United States of America in the world
हाल ही में जारी किए गए क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स में भारत ने कुल मिलाकर 25वां स्थान प्राप्त किया है, जो उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और स्नातकों के कौशल विकास के आधार पर देश की स्थिति को दर्शाता है.
क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स यह संकेत देता है कि देश वैश्विक कार्यबल की बदलती मांगों को कैसे संभालने के लिए तैयार हैं, विशेष रूप से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्थिरता और नौकरी बाजार पर प्रभाव डालने वाले आर्थिक परिवर्तनों के संदर्भ में. क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स चार प्रमुख संकेतकों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं स्किल फिट, फ्यूचर ऑफ वर्क, अकादमिक रेडीनेस और आर्थिक रूपांतरण.
एनालिसिस का ये रहा रिजल्ट
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भविष्य कौशल और उभरती नौकरी प्रवृत्तियों पर मजबूत ध्यान उसे एक प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें महत्वपूर्ण क्षमता है, जैसा कि फ्यूचर ऑफ वर्क और अकादमिक रेडीनेस संकेतकों में भारत के प्रदर्शन से स्पष्ट है. हालांकि, देश की मौजूदा आर्थिक और शैक्षिक प्रणालियों में कुछ चुनौतियां हैं, जो प्रगति को धीमा कर सकती हैं – जबकि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है, रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश कम है और देश अपने पर्यावरणीय नीति लक्ष्यों तक पहुंचने से दूर है. भारत ने फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में 99.1 अंक, अकादमिक रेडीनेस श्रेणी में 89.9 अंक, स्किल फिट श्रेणी में 59.1 अंक और आर्थिक रूपांतरण श्रेणी में 58.3 अंक प्राप्त किए. कुल मिलाकर, भारत ने 76.6/100 अंक हासिल किए.
स्किल फिट पर ये कहा गया
भारत की कुल रैंकिंग 25वें स्थान पर रही है, जो चार प्रमुख पैमानों स्किल फिट, एकैडमिक रेडीनेस, फ्यूचर ऑफ वर्क और आर्थिक बदलाव पर आधारित है. इस रैंकिंग में भारत ने विभिन्न श्रेणियों में निम्नलिखित स्थान हासिल किए: स्किल फिट में 37वां, एकैडमिक रेडीनेस में 26वां और आर्थिक बदलाव में 40वां स्थान. रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय युवा अपने कौशल में तेजी से सुधार कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं.
अमेरिका के बाद भारत की पकड़
इस नए इंडेक्स में भारत को कुल मिलाकर 25वीं रैंक प्राप्त हुई है और इसे Future Skills Contender के रूप में पहचाना गया है. भारत ने Future of Work इंडिकेटर में शानदार प्रदर्शन किया है और इस श्रेणी में उसे 99.1 अंक प्राप्त हुए हैं, जो कि केवल अमेरिका से थोड़ी कम है, और इसे इस श्रेणी में दुनिया की दूसरी सबसे उच्च रैंक मिली है. भारत की क्षमता का एक प्रमुख उदाहरण उसकी सफलता है, जो वैश्विक मंदी के बावजूद वेंचर कैपिटल फंडिंग को आकर्षित करने में रही है. इसके अतिरिक्त, QS के विश्लेषण में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत अपने कार्यबल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शामिल करने में तत्पर है.
भारत की सुधार की जरूरतें
रिपोर्ट में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र, उद्योग सहयोग और रोजगार बाजार में सुधार की आवश्यकता को प्रमुख रूप से चिन्हित किया गया है. हालांकि भारतीय विश्वविद्यालयों ने QS रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया है, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डिजिटल, AI और ग्रीन स्किल्स के मामले में भारतीय स्नातकों को उद्योग की बढ़ती मांगों के अनुसार और बेहतर तैयार किया जा सकता है. इस संदर्भ में भारत के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गई हैं, जैसे कि उच्च शिक्षा संस्थानों को सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन टेक्नोलॉजीज जैसी वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप अनुसंधान और उद्योग प्रयासों को समन्वयित करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम विकसित करने पर जोर दिया गया है.
भारत के लिए उम्मीदें
क्यूएस के उपाध्यक्ष माटेओ क्वाक्वेरेली ने कहा, ‘भारत की जीडीपी वृद्धि, युवा जनसंख्या और स्टार्टअप संस्कृति इसे वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित कर रही है. जबकि अन्य देशों को वृद्धावस्था की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, भारत की वर्तमान जनसंख्या में विकास के लिए कई अनूठी संभावनाएं हैं.’ रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 से 2030 तक औसतन 6.5% प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है, जिससे यह कई प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल जाएगा. हालांकि, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था और नवाचार बढ़ते हैं, छात्रों, स्नातकों और श्रमिकों को बदलती जरूरतों के साथ बने रहने के लिए संबंधित कौशलों के साथ समर्थन की आवश्यकता होगी.
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