Rajasthan Assembly Elections Congress Lost 10 Gurjar Dominated Seats In 8 Districts. – पूर्वी राजस्थान में नहीं चला पायलट का जादू? कांग्रेस को 8 जिलों की गुर्जर बहुल 10 सीटों का हुआ नुकसान



8gvmjad sachin pilot pti Rajasthan Assembly Elections Congress Lost 10 Gurjar Dominated Seats In 8 Districts. - पूर्वी राजस्थान में नहीं चला पायलट का जादू? कांग्रेस को 8 जिलों की गुर्जर बहुल 10 सीटों का हुआ नुकसान

पूर्वी राजस्थान के आठ जिलों –अलवर, भरतपुर, बूंदी, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर और टोंक में कांग्रेस की सीट इस विधानसभा चुनाव में 29 से घटकर 19 रह गईं, जबकि भाजपा को 14 सीट का फायदा हुआ और उसे कुल 42 में से 20 सीटें हासिल हुईं. साल 2018 में कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान में 42 में से 29 सीट जीती थीं जबकि भाजपा को छह सीट मिली थीं.

इस क्षेत्र की कई सीटों पर गुर्जर मतदाताओं को निर्णायक माना जाता है. गुर्जर समुदाय से आने वाले पायलट 2018 में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे और तब उन्होंने चुनाव में पार्टी की अगुवाई की थी. लेकिन इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभियान का नेतृत्व कर रहे थे. पायलट ने अपनी टोंक सीट के साथ-साथ अपने समर्थकों की कुछ अन्य सीट पर ध्यान केंद्रित रखा था.

साल 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद पायलट मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाते हुए पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया.

जुलाई 2020 में पायलट एवं उनके कुछ समर्थक विधायकों द्वारा गहलोत नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. पायलट और गहलोत के बीच आंतरिक कलह खुलकर सामने आने पर गहलोत ने पायलट को ‘गद्दार’ और ‘निकम्मा’ तक कह दिया. दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव काफी स्पष्ट रहा है.

धौलपुर जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुघर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पायलट के साथ खराब व्यवहार को लेकर समुदाय में निश्चित रूप से नाराजगी थी. उनका कहना है कि सभी को उम्मीद थी कि कांग्रेस पायलट को मुख्यमंत्री बनाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

उन्होंने कहा,‘‘इससे भी अधिक, उन्हें और अपमानित किया गया, जिससे समाज के लोग आहत हुए और इसलिए इस बार गुर्जर वोट कांग्रेस के खिलाफ चले गए हैं.”

उन्होंने दावा किया कि पायलट के ‘अपमान’ की वजह से ही कांग्रेस को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा,‘‘पायलट लोकप्रिय हैं. वह हमारे समुदाय से हैं और पिछली बार जब समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया तो उसे बहुत उम्मीद थी लेकिन उसे केवल निराशा मिली.”

गंगापुर सिटी में एक स्कूल चलाने वाले सुरेंद्र खटाना ने कहा कि पायलट के खिलाफ जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया उससे समाज के लोग नाराज हुए और इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ जाने का फैसला किया. उन्होंने कहा,‘‘मतभेद हो सकते हैं लेकिन पायलट के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्दों को कोई कैसे सहन कर सकता है. पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पांच साल में पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की और पांच साल के कांग्रेस शासन के दौरान उन्होंने केवल संघर्ष किया.”

उन्होंने कहा कि समाज के लोगों ने अपने स्तर पर छोटी-छोटी बैठकें कीं और कांग्रेस के बजाय भाजपा को वोट देने का फैसला किया.

करौली के हिंडौन में एक कांग्रेस पार्षद ने कहा कि गहलोत का समर्थन करने के बदले कांग्रेस विधायकों को खुली छूट दी गई और यह भी समुदाय के खिलाफ गया क्योंकि विधायकों ने गुर्जर लोगों के काम नहीं किए.

उन्होंने कहा,‘‘मैंने समाज के कार्यक्रमों में सुना कि कैसे कांग्रेस सरकार में गुर्जर लोगों को अपने काम करवाने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. गुर्जर एक बड़ा समुदाय है और समाज के एक वरिष्ठ नेता की अनदेखी निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव डालती है.”

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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