Raksha Bandhan 2023: गोबर के बाद मार्केट में घास से बनी राखियों की एंट्री, डिजाइन देख लोग हो रहे आकर्षित
विशाल कुमार/छपरा. सारण में इस बार रक्षाबंधन पर खास तरह की राखियां बनाई जा रही हैं. यह राखियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं. इस बार भाइयों की कलाई इको फ्रेंडली रखियों से सजेगी. इस राखी को काश यानी कुश की सूखी पत्ती के डंठल से बनाया जा रहा है. जिसे बोलचाल की भाषा में सिक्की घास भी कहा जाता है. इसे छपरा की जीविका दीदी के द्वारा तैयार किया है.
खास बात यह है कि इस राखी की दिल्ली से लेकर गुजरात तक डिमांड है. सारण जिला के मांझी प्रखंड अंतर्गत कुशाग्राम जीविका की महिलाएं इको फ्रेंडली राखियां बना रही है. इस संगठन से जुड़कर 25 महिलाएं राखियां तैयार कर रही हैं.
रोजाना 400 राखियां बना ले रही हैं महिलाएं
मांझी में कुशग्राम जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं प्रतिदिन काश के डंठल से 400-450 रखियां तैयार कर रही हैं. पुष्पा शर्मा ने बताया कि काश के डंठल से तैयार होने वाली रखियों से जीविका दीदी आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं. राखी की कीमत 10 रुपए, 30 रुपए और 60 रुपए है. 10 रुपए की राखी बनाने में 4 रुपए की लागत आती है, जबकि 30 रुपए की राखी की लागत 10 और 60 रुपए की राखी पर 25 रुपए लागत आती है. इसी हिसाब से जीविका दीदी थोक भाव से बेच रही हैं. पुष्पा शर्मा ने बताया कि काश एक प्रकार की घास है, जिससे रखियां तैयार कर रहे हैं. अब तक 9 हजार राखियां गुजरात सहित विभिन्न शहरों में भेजी जा चुकी हैं.
रखी तैयार कर खुद से करती है पैकेजिंग
हसबुन बीबी ने बताया कि काश से राखी तैयार कर रहे हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक है. इस रखी को खरीदने के लिए लोग आर्डर भी कर रहे हैं. जिले के अलावा दूसरे राज्य के लोग भी इस राखी को खूब पसंद कर रहे हैं. राखी निर्माण के साथ-साथ समूह की महिलाएं पैकेजिंग का भी काम करती हैं. यह राखियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं. जीविका की सतत जीविकोपार्जन योजना से जुड़ी ये 25 महिलाएं अत्यंत गरीब परिवार से हैं. मांझी प्रखंड के एसजेवाई टीम के मार्गदर्शन में ये दीदियां सामाजिक एवं आर्थिक विकास की राह पर अग्रसर हैं.
.
Tags: Bihar News, Chapra news, Latest hindi news, Local18, Rakshabandhan, Saran News
FIRST PUBLISHED : August 10, 2023, 16:27 IST