Ramana Reddy Defeated Both The Current Chief Minister And The Chief Minister Probable – मिलिए रमना रेड्डी से.. जिन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री और संभावित मुख्यमंत्री दोनों को हराया
बीजेपी के लिए रविवार की मुख्य बातें ये हो सकती हैं कि उसने तीन राज्यों में बड़ी जीत हासिल की है. हालांकि तेलंगाना में हार गई. लेकिन उसने 2018 में हासिल की गई सीटों से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की. इस सबके बीच एक ऐसा शख्स जिसकी बड़ी कामयाबी पर शायद किसी का ध्यान नहीं गया. जिसके वो हकदार हैं, वो हैं केवी कामना रेड्डी.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
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तेलंगाना के कामारेड्डी सीट से अपेक्षाकृत अज्ञात भाजपा उम्मीदवार एक बड़े विजेता के रूप में उभरे हैं. उन्होंने न केवल कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के प्रमुख रेवंत रेड्डी को हराया है, जिन्हें संभावित मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता है, बल्कि दो बार के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को भी हराया, उन्हें राज्य में कभी अजेय के रूप में देखा जाता था.
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रमना रेड्डी को कुल 66,652 वोट मिले, उन्होंने केसीआर को 6,700 से अधिक वोटों से और रेवंत रेड्डी को लगभग 12,000 वोटों से हराया. अपनी जीत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, रमना रेड्डी ने कहा कि वो अपने विरोधियों को एक संभावित मुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि भारत राष्ट्र समिति और कांग्रेस के दो उम्मीदवारों के रूप में देखते थे.
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रमना रेड्डी ने हिंदी में कहा, “मैंने उन्हें सामान्य उम्मीदवारों के रूप में देखा और खुद को भाजपा उम्मीदवार के रूप में. मैं आम आदमी के समर्थन के कारण जीता. मैं उन 65,000 लोगों का विधायक नहीं हूं जिन्होंने मुझे वोट दिया, बल्कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के 2.5 लाख मतदाताओं और 4.5 लोगों का विधायक हूं.”
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53 वर्षीय रमना पाला बदलने और भाजपा में शामिल होने से पहले कभी बीआरएस में थे. कॉलेज की शिक्षा नहीं होने के बावजूद उनके चुनावी हलफनामे में बताया गया है कि उनकी कुल घोषित संपत्ति 49.7 करोड़ रुपये है. हैदराबाद से लगभग 120 किमी दूर स्थित, कामारेड्डी निर्वाचन क्षेत्र पर 2014 से बीआरएस का कब्जा रहा. इस सीट पर जीत ने रमना रेड्डी की उपलब्धि को और बढ़ा दिया है.
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रमना रेड्डी भाजपा के उन आठ लोगों में से एक हैं, जिन्होंने तेलंगाना में जीत हासिल की है, या आगे चल रहे हैं. हालांकि ये संख्या छोटी लगती है, लेकिन ये 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से आठ गुना अधिक है. क्योंकि बीजेपी तब सिर्फ एक सीट जीत पायी थी.