Ravindra Singh Bhati: Independent Candidate Who Defeated 4 Powerful Leaders From Sheo Assembly Seat Of Rajasthan – रवींद्र सिंह भाटी: निर्दलीय उम्मीदवार जिसने एक सीट पर 4 ताकतवर नेताओं को दी मात 



0oto5v68 ravindra singh Ravindra Singh Bhati: Independent Candidate Who Defeated 4 Powerful Leaders From Sheo Assembly Seat Of Rajasthan - रवींद्र सिंह भाटी: निर्दलीय उम्मीदवार जिसने एक सीट पर 4 ताकतवर नेताओं को दी मात 

चुनाव आयोग के मुताबिक, भाटी ने शिव निर्वाचन क्षेत्र से करीब 80 हजार वोट हासिल किए. यह जीत भाटी की उस यात्रा के समापन का प्रतीक है, जो चुनाव से कुछ हफ्ते पहले टिकट से इनकार के कारण भाजपा से उनके अप्रत्याशित प्रस्थान के साथ शुरू हुई थी. 

भाजपा छोड़ने के बारे में भाटी ने पार्टी का स्पष्ट रूप से नाम लिए बिना एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि संघर्ष मेरे भाग्य में है… हर बार वे मुझे आखिरी समय में छोड़ देते हैं, लेकिन कहीं न कहीं एक शक्ति है जो मेरे पक्ष में काम करती है, कठिन समय में मेरी मदद करती है.‘ 

डेढ़ साल से अधिक समय तक शिव में बड़े पैमाने पर प्रचार करने के बाद भाटी की भाजपा टिकट की उम्मीद अधूरी रह गई थी, जिसके कारण उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना पड़ा. यह जीत उनके सामर्थ्य और शिव में मतदाताओं के समर्थन को रेखांकित करती है. 

चुनाव के बाद अपने बयानों में भाटी ने शिव निर्वाचन क्षेत्र में पानी की कमी, बिजली, शिक्षा और बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करते हुए बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने विशेष रूप से इस विरोधाभास पर प्रकाश डाला कि बाड़मेर राज्य के लिए एक प्रमुख बिजली प्रदाता है, जबकि उसे अपर्याप्त बिजली आपूर्ति का सामना करना पड़ रहा है. 

छात्र राजनीति से उभरे भाटी 

राजपूत परिवार में जन्मे भाटी का राजनीति में प्रवेश 2019 में छात्र राजनीति के माध्यम से हुआ. उन्होंने मारवाड़ के सबसे बड़े विश्वविद्यालय जेएनवीयू से चुने गए पहले निर्दलीय अध्यक्ष बनकर इतिहास रच दिया. विशेष रूप से इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय की भूमि को एक कन्वेंशन सेंटर के लिए बेचे जाने से बचाने के आंदोलन में उनके नेतृत्व से बढ़ावा मिला. 

उन्हें प्रसिद्धि तब मिली जब उन्होंने कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान फीस के मुद्दों पर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद, उन्हें शांति भंग करने और कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में जोधपुर में गिरफ्तार किया गया. 

सितंबर 2021 में उन्होंने हरियाणा में आरक्षण नीतियों के समान, राजस्थान के युवाओं के लिए रोजगार में 75 फीसदी आरक्षण की मांग करते हुए, गहलोत सरकार के खिलाफ जयपुर में एक महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. 

जोधपुर के जय नारायण विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) से कानून में स्नातक भाटी भारत-पाकिस्तान की सीमा के पास शिव  निर्वाचन क्षेत्र में स्थित बाड़मेर के दुधोडा गांव के रहने वाले हैं. 

छह बार के कांग्रेस विधायक को हराया 

एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाताओं सहित करीब 3 लाख मतदाताओं वाला बाड़मेर का शिव निर्वाचन क्षेत्र राजस्थान विधानसभा चुनावों में एक गर्म मुकाबले वाली सीट के रूप में उभरा. भाटी को दो प्रमुख मुस्लिम नेताओं और अपने ही राजपूत समुदाय की दो प्रभावशाली शख्सियतों को हराने की चुनौती का सामना करना पड़ा. 

कठिन लड़ाई को स्वीकार करते हुए भाटी ने टिप्पणी की, ‘मैं एक मौजूदा और छह बार के विधायक के खिलाफ लड़ रहा था, जो दसवीं बार चुनाव लड़ रहे थे. मैं शिव के तीन अन्य महत्वपूर्ण चेहरों के साथ मुकाबले में था, लेकिन मुझे विश्वास था कि लोगों का समर्थन मिलेगा और आशीर्वाद मेरे साथ था.‘ 

छह बार के कांग्रेस विधायक अमीन खान की हार हुई है, जो 1980 से एक ही सीट से लड़ रहे थे. उनकी हार ने राजनीति में आने वाले बदलाव का संकेत दिया है.  बागी निर्दलीय उम्मीदवार फतेह खान ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़कर भाटी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

भाजपा के प्रमुख नेता स्वरूप सिंह खारा शिव में चौथे स्थान पर रहे, जबकि मतदाताओं ने एक अन्य राजपूत नेता, पूर्व भाजपा विधायक जालम सिंह रावलोत को खारिज कर दिया, जिन्होंने भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद हनुमान बेनीवाल की आरएलपी से चुनाव लड़ा था. 

साथियों के बीच रावसा के नाम से हैं मशहूर 

अपने साथियों के बीच रावसा के नाम से मशहूर भाटी की जीत ने राजस्थान में सबसे लोकप्रिय छात्र नेताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत कर दिया है. दुर्जेय विरोधियों को परास्त करके उन्होंने अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया है और स्थापित राजनीतिक ताकतों को सीधी चुनौती पेश की है. 

अपने भविष्य की राजनीतिक संबद्धताओं के बारे में भाटी ने कुछ नहीं कहा, ‘मैं अभी नहीं कह सकता, परिस्थिति तय करेगी.  लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा है, और मैं इसे कायम रखना जारी रखूंगा.‘ 

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