RBI ने लगातार तीसरी बार नहीं किया रेपो रेट में बदलाव



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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज घोषणा की कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. बैंक की प्रमुख नीतिगत दर 6.50 प्रतिशत ही रहेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है. यह साफ है कि अब किसी प्रकार का लोन में ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा. आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया गया है.

उन्होंने कहा कि देश की वृहद आर्थिक स्थिति मजबूत है, दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन है. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय बना हुआ है.

दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति पर निगाह रखेगी. दास ने कहा कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने को प्रतिबद्ध हैं. उनका कहना है कि मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. दास ने कहा कि भूराजनीतिक अनिश्चितता तथा प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की चुनौतियां हैं. जो ग्रामीण मांग में सुधार का संकेत, खरीफ की कटाई के साथ यह और सुधरेगी.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का प्रवाह इस साल बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये हुआ. पिछले साल यह 5.7 लाख करोड़ रुपये था. आगामी त्योहारों के दौरान निजी उपभोग तथा निवेश गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है.

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मुंबई में संपन्न हुई है.  गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा बृहस्पतिवार यानी 10 अगस्त की गई.

बता दें कि पिछले साल मई से रिजर्व बैंक ने रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था. हालांकि, फरवरी से केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में बढ़ोतरी को रोक दिया. फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर को 6.25 से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत किया गया था. आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था, हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है. इसके बाद अप्रैल और जून में दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में प्रधान उधारी दर में फेरबदल नहीं हुआ था. हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखा जाएगा.

गौरतलब है कि सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर दो प्रतिशत तक विचलन हो सकता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई, हालांकि यह आरबीआई के सहनशील स्तर छह प्रतिशत से नीचे है.



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