Roopkund Lake Of India Is Also Known As Lake Of Skeletons Situated In Kumau Uttrakhand


Lake Of Skeletons: घूमने जाने के लिए दुनियाभर में कई जगहें हैं. भारत में भी घूमने और जानने के लिए काफी कुछ मौजूद हैं. आपको अगर ऊंचाई से दुनिया देखने और हरियाली में रहने का शौक है तो आप पहाड़ों का रुख कर सकते हैं. इलाके अलावा, एंजॉय करने के लिए आप बीच या फिर झील-झरने आदि भी देख सकते हैं. हालांकि, कुछ जगहें अपने रहस्य के लिए फेमस होती हैं. ऐसी ही एक झील भारत में है, जो बेहद रहस्यमयी और डरवानी है. दरअसल, इस झील में हर तरफ सिर्फ इंसानों के कंकाल ही नजर आते हैं. आइए जानते हैं ये झील कहां है और ये किसके कंकाल हैं.

भारत की इस झील में मिलते हैं इंसानों के कंकाल

भारत के हिमालयी क्षेत्र में बर्फीली चोटियों के बीच एक ग्लेशियर झील स्थित है, जिसमें काफी समय से इंसानों के कंकाल मिलते रहते हैं. इस झील का नाम “रूपकुंड झील” है, जो समुद्रतल से करीब सोलह हजार फीट (5029 मीटर) की ऊंचाई पर है. रूपकुंड झील हिमालय की तीन चोटियों, जिन्हे त्रिशूल जैसी दिखने का कारण त्रिशूल कहा जाता है, के बीच स्थित है. ये जगह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है.

आधी सदी से अनसुलझी है पहेली

रूपकुंड झील में जहां-तहां बर्फ में इंसानी हड्डियां दबी हुई हैं. इसलिए इसे “कंकालों की झील” भी कहा जाता है. इसकी खोज साल 1942 में एक ब्रिटिश फॉरेस्ट रेंजर ने गश्त के दौरान की थी. वैज्ञानिक करीब 50 सालों से भी ज्यादा समय से इन कंकालों को स्टडी कर रहे हैं. यहां बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटको के लिए यह झील जिज्ञासा का कारण बनी हुई है. मौसम के अनुसार जब झील पर जमी बर्फ पिघलती है, तब इसमें इंसानी कंकाल दिखाई देने लगते हैं. उत्तराखंड सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसे “रहस्यमयी झील” के तौर पर बताती है.

वैज्ञानिकों के अध्ययन में क्या पता चला

कई बार यह होता है कि इन हड्डियों के साथ पूरे-पूरे अंग भी मिलते हैं, मानों उन्हे संरक्षित किया गया हो. अब तक, यहां पर 600 से 800 लोगों के अवशेष पाए गए हैं. पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिकों ने इस झील में पड़े कंकालों का अध्ययन किया है और उन्होंने कई अनसुलझे पहेलियों का समाधान निकालने का प्रयास किया है. उनके सामने कई प्रश्न थे. जैसे, इन कंकालों का मूल क्या है? इनकी मौत कैसे हुई? इन लोगों की यात्रा कहां से शुरू होकर यहां कैसे खत्म हुई?

किसके हैं ये कंकाल?

एक प्राचीन कहानी के अनुसार, इन मानवीय अवशेषों का एक किस्सा कहता है कि ये कंकाल एक भारतीय राजा, उनकी रानी और सेवकों के हैं, जो किसी बड़ी बर्फबारी के दौरान फंस गए और यहीं दफन हो गए.

कुछ थ्योरीज़ भी हैं जो कंकालों के साथ जुड़ी हैं

एक और संभावना के मुताबिक, इनमें से कुछ कंकाल उन भारतीय सैनिकों के हो सकते हैं जिन्होंने 1841 में तिब्बत पर हमला किया था और उन्हें हारने के बाद भागना पड़ा था. इस दौरान 70 से भी ज्यादा सैनिक जिंदगी से हारकर हिमालय की पहाड़ियों में गए और उनकी मौत हो गई. एक अन्य किस्सा बताता है कि यह एक कब्रगाह हो सकती है जहां किसी भयानक महामारी के कारण लोगों को दफनाया गया हो सकता है.

वर्तमान अध्ययनों के अनुसार

एक हालिया अध्ययन ने खुदाई और जेनेटिक तरीकों से 38 मानव अवशेषों की जांच की, जिनमें से 15 महिलाओं के कंकाल भी शामिल थे. इनमें कुछ अवशेष 1,200 साल पुराने थे. वैज्ञानिकों के अनुसार, इन कंकालों का जेनेटिक मेल और कार्बन डेटिंग के आधार पर उनकी मौतों के बीच का अंतर 1,000 साल से अधिक हो सकता है. यानी यहां मौजूद सभी लोगों की मौत एक ही समय पर नहीं हुई और न ही ये एक जाति के थे, क्योंकि इनमें से एक समूह के लोगों के जेनेटिक्स वर्तमान में दक्षिण एशिया के लोगों से मिलते हैं, जबकि दूसरे समूह के लोग यूरोप के लोगों से मिलते हैं.

शायद तीर्थ यात्रा पर आए होंगे ये लोग

इसके अलावा, इस जगह का प्राचीन इतिहास इसे और भी रोचक बनाता है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये लोग बस एक ही कारण से मारे गए हो, बल्कि यह किसी विशेष परिस्थिति के कारण भी हो सकता है, जैसे कि तीर्थयात्रा के दौरान या किसी महामारी के फैलने के समय. कुल मिलाकर इन कंकालों को लेकर अभी भी कोई सटीक जानकारी नहीं है, आज भी यह बात रहस्य ही बनी हुई है कि आखिर ये कंकाल हैं किन लोगों के.

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