Ruckus in Manipur over AFSPA know what exemptions are given to army personnel under this law
मणिपुर में दो जातियों के बीच संधर्ष एकबार फिर से भड़क उठी है. मणिपुर विधानसभी के 10 विधायकों ने पूरे राज्य में एएफएसपीए लागू करने की मांग की है. वहीं मणिपुर के कई इलाके इस कानून के विरोध की आग में जल रहे हैं. सोमवार को इस फैसले के विरोध में हजारों की तादाद में महिलाओं ने विरोध मार्च निकाला. बता दें मणिपुर में AFSPA (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) को लेकर पिछले कुछ समय से काफी विवाद चल रहा है. इस कानून के तहत सेना को अशांत क्षेत्रों में खास शक्तियां प्रदान की जाती हैं. लेकिन इन शक्तियों का दुरुपयोग होने के कई आरोप भी लगते रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि AFSPA क्या है और इसके तहत सेना को क्या–क्या खास शक्तियां मिलती हैं.
क्या है AFSPA?
AFSPA यानी आर्म्ड फोइर्सेस स्पेशल पॉवर्स एक्ट भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों को खास शक्तियां देता है, जो खासतौर पर उन क्षेत्रों में लागू होती हैं, जिन्हें उपद्रवी और गैरकानूनी गतिविधियों से प्रभावित माना जाता है. आसान भाषा में समझें तो AFSPA एक ऐसा कानून है, जिसे भारत सरकार ने उन इलाकों में लागू किया है, जहां उग्रवाद, आतंकी गतिविधियां या सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति बनी रहती है. इसे 1958 में पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया गया था और बाद में इसे कश्मीर सहित अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भी लागू किया गया. यह कानून सेना को उन क्षेत्रों में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करने और संदिग्ध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार देता है.
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AFSPA के तहत सेना को कौन सी छूट मिलती है?
AFSPA के तहत भारतीय सेना के जवानों को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं जो सामान्य परिस्थितियों में नहीं होते. इन अधिकारों का उद्देश्य उन क्षेत्रों में सुरक्षा बनाए रखना है, जहां असामान्य स्थिति होती है.
गिरफ्तारी का अधिकार: AFSPA के तहत सेना को संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार होता है, जिनके बारे में उन्हें यह संदेह हो कि वे उग्रवादी गतिविधियों में शामिल हैं. सेना को बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार होता है, और यह गिरफ्तारी किसी भी न्यायालय से पहले हो सकती है.
गोलियां चलाने का अधिकार: अगर कोई व्यक्ति आतंकी गतिविधियों में शामिल हो या किसी सैनिक पर हमला करता है, तो सेना के जवानों को उन्हें रोकने के लिए गोलियां चलाने का अधिकार होता है. यह अधिकार तब तक होता है, जब तक उनकी जान को खतरा महसूस होता है.
स्थायी तलाशी और जब्ती का अधिकार: AFSPA के तहत, सेना को घर, दुकान और वाहनों की तलाशी लेने का अधिकार मिलता है, यदि उन्हें संदेह हो कि वहां अवैध गतिविधियां हो रही हैं. इसके तहत, हथियार, विस्फोटक या अन्य संदिग्ध सामान जब्त किया जा सकता है.
सैन्य क्षेत्र में कानून का पालन: AFSPA लागू होने पर, सेना को स्थानीय कानूनों की तुलना में अधिक अधिकार मिलते हैं. सेना के जवानों को यह अधिकार होता है कि वे सैन्य क्षेत्र में अपनी कार्रवाई कर सकें, चाहे वह कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हो या उग्रवादी गतिविधियों को रोकने के लिए.
सैन्य कार्रवाई में छूट: जब AFSPA लागू होता है, तो सैनिकों को सामान्य न्याय प्रक्रिया से छूट मिलती है. इसका मतलब है कि उनकी कार्रवाई पर सामान्य न्यायिक प्रक्रिया लागू नहीं होती, जिससे उन्हें त्वरित और प्रभावी तरीके से काम करने की स्वतंत्रता मिलती है.
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मणिपुर में AFSPA का विवाद
पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में AFSPA को लेकर बड़े विरोध हुए हैं. राज्य में बढ़ती हिंसा और जातीय संघर्षों के बाद मणिपुर सरकार ने AFSPA को राज्य के कुछ हिस्सों में फिर से लागू किया. इस पर स्थानीय लोग और कई मानवाधिकार संगठन आपत्ति जताते हैं, उनका कहना है कि इस कानून के तहत सेना की कार्रवाई बहुत कठोर हो सकती है और नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है.
मणिपुर में हाल की घटनाओं के बाद, AFSPA के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं और इसके खिलाफ कानून की समीक्षा की मांग की जा रही है. कई संगठन और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इस कानून को ज्यादा शक्तिशाली मानते हैं, जो कभी–कभी अत्याचारों का कारण बन सकता है.
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