Sagar: हाथों में तलवार थामे हजारों की भीड़ में चल रही थी लड़कियां, फिर हुआ कुछ ऐसा, उड़ गए सबके होश


अनुज गौतम,सागर: सागर का दशहरा चल समारोह हमेशा से ही अपनी भव्यता और सुंदर झांकियों के लिए प्रसिद्ध रहा है. हर साल, यहां हजारों लोग देवी दुर्गा मां की झांकियों को देखने और उत्सव का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से आते हैं. पूरे शहर में जनसैलाब उमड़ पड़ता है, जिससे सड़कें, मंच और छतें सभी भीड़ से भर जाती हैं. इस बार के दशहरा समारोह में कुछ अलग और अनूठा देखने को मिला, जिसने न केवल लोगों का ध्यान खींचा बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया.

इस साल की खास झांकी में 50 से अधिक लड़कियां, अपने हाथों में तलवारें थामे हजारों की भीड़ के बीच चल रही थीं. यह दृश्य सागर में पहली बार देखने को मिला. इन लड़कियों का उद्देश्य साफ था – नारी शक्ति और सशक्तिकरण का संदेश देना. इस झांकी ने यह संदेश दिया कि महिलाएं सिर्फ सहनशील नहीं होतीं, वे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने और ज़रूरत पड़ने पर तलवार उठाने में भी सक्षम हैं. समाज को इस संदेश के माध्यम से यह बताया गया कि महिलाओं को कमज़ोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए और अब उन्हें दबाने का समय खत्म हो गया है. यह झांकी दुराचार और अन्याय के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध थी.

दुराचारियों के खिलाफ तलवार उठाने का संदेश
सागर सहित पूरे मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में बच्चों और महिलाओं के साथ हो रही दुष्कर्म जैसी घटनाओं ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है. इन घटनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने और समाज को अपनी शक्ति का एहसास कराने के उद्देश्य से इन लड़कियों ने दशहरा की रात शहर की सड़कों पर यह अनूठी झांकी निकाली. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब दुराचारियों की खैर नहीं है. उनके खिलाफ तलवार उठा ली गई है और समाज को सचेत रहने की जरूरत है. यह संदेश भी दिया गया कि अब किसी को भी महिलाओं या बच्चियों की तरफ बुरी नज़र से देखने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए.

रातभर चली झांकी, बना चर्चा का विषय
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह बुंदेली परिधान, सिर पर पगड़ी और हाथों में तलवार लिए ये लड़कियां रात 8:00 बजे से लेकर रात 2:00 बजे तक शहर की सड़कों पर घूमती रहीं. इस दौरान इन्होंने करीब 10 किलोमीटर की दूरी तय की, जिसमें शहर की हर प्रमुख गली और सड़क शामिल थी. यह आयोजन अपने आप में अनूठा था और सागर में पहली बार ऐसा दृश्य देखा गया, जिसने पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया. लोगों ने इस झांकी की सराहना की और इसे महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना.

महिलाओं की सुरक्षा पर जोर
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चियों के प्रति बढ़ती हिंसा और दुराचार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना था. इन लड़कियों ने अपने साहस और आत्मविश्वास से यह साबित किया कि वे किसी भी अत्याचार के खिलाफ खड़ी हो सकती हैं और उन्हें कमजोर समझना समाज की सबसे बड़ी भूल होगी. इस अनूठी झांकी ने यह साबित किया कि नारी शक्ति किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है और उसे कमज़ोर समझने की भूल अब नहीं की जानी चाहिए.

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