Saif Ali Khan property dispute know Enemy Property Act under which government take possession on Saif Bhopal property
Saif Ali Khan Property Dispute: बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान इन दिनों सुर्खियों में हैं. बीते दिनों सैफ पर उनके ही घर पर चाकू से हमला हुआ था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सैफ अब डिस्चार्ज हो चुके हैं और हमले के आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बीच सैफ अली खान और उनके परिवार की भोपाल और उसके आसपास करीब 15000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी भी चर्चा में है.
दरअसल, पटौदी परिवार की यह प्रॉपर्टी सरकार के कब्जे में जा सकती है, जिसको लेकर कानूनी जंग चल रही है. भोपाल रियासत से विरासत में मिली इस प्रॉपर्टी पर लंबे समय से विवाद चला रहा है. 2015 में इस ऐतिहासिक प्रॉपर्टी पर लगा स्टे खत्म हो चुका है, जिसके बाद पटौदी परिवार को अपना पक्ष रखने का समय मिला था. हालांकि, उनकी तरफ से अभी तक कोई दावा नहीं पेश किया गया है. चलिए जानते हैं सैफ और उनके परिवार की इस प्रॉपर्टी को सरकार अपने कब्जे में कैसे ले सकती है? इसको लेकर क्या कानून है?
कैसे मिली थी पटौदी परिवार को प्रॉपर्टी?
भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान के बाद इस प्रॉपर्टी पर उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान का हक था. हालांकि, 1950 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद आबिदा सुल्तान सबकुछ छोड़कर पाकिस्तान चली गईं, जिसके बाद भोपाल रियासत की सारी संपत्ति आबिदा की छोटी बहन साजिदा सुल्तान के पास आ गई. साजिदा सुल्तान ने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की, जो सैफ अली खान के दादा थे. इफ्तिखार पटौदी के बाद सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी ने इस संपत्ति की देखरेख की. इस तरह से करीब 15000 करोड़ की यह संपत्ति सैफ अली खान को विरासत में मिली.
विवाद की वजह क्या?
सैफ अली खान और पटौती परिवार की भोपाल में 15000 करोड़ की संपत्ति शत्रु संपत्ति कानून के तहत विवादों में है. दरअसल, इस कानून के तहत सरकार का ऐसी संपत्तियों पर दावा है. 24 फरवरी, 2015 को शत्रु संपत्ति अभिरक्षक ने इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया था. आदेश में कहा गया था कि भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गई थीं, इसलिए भोपाल नवाब की संपत्ति, जो उन्हें विरासत में मिलनी थी, शत्रु संपत्ति है. इसके खिलाफ सैफ अली खान की मां और मशहूर एक्टर शर्मिला टैगोर ने हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसके बाद इस आदेश पर स्टे लगाया गया था.
क्या सरकार अपने कब्जे में ले सकती है संपत्ति?
इसके पीछे शत्रु संपत्ति कानून है. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद इस कानून को लाया गया था. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद जो लोग देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए और वहीं बस गए. उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति माना गया. चीन के साथ युद्ध के बाद यही कानून चीन पर भी लागू हुआ और भारत छोड़कर चीन जाने वाले लोगों की संपत्ति को भी शत्रु संपत्ति घोषित किया गया. इस तरह की संपत्तियों को केंद्र सरकार अपने कब्जे में ले लेती है. ऐसी संपत्तियां देश के लिए खतरा मानी जाती हैं, जिनका इस्तेमाल विदेशी ताकतों के लिए किया जा सकता है.
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