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Sambhal Internet Shut Down: उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा का दौर जारी है. वहीं, अब तक पुलिस ने तकरीबन 21 आरोपितों को हिरासत में लिया है. इन आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आदार पर हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं. जिलाधिकारी ने संभल की सीमाओं पर चेकिंग साथ प्रवेश का निर्देश दिया है. साथ ही इंटरनेट को बंद कर दिया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसे में हालात में इंटरनेट बंद करने के आदेश कौन देता है? किसके आदेश के बाद इंटरनेट को बंद किया जाता है?

इंटरनेट बंद करने के आदेश कौन देता है?

दरअसल ऐसे हालात में इंटरनेट बंद करने का आदेश प्रशासन यानी जिला पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी देता है. इसके बाद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) को सरकार के आदेशों का पालन करना होता है. अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, इंटरनेट बंद करने का फैसला केंद्र और राज्य सरकार के हाथ में होता है. देश में दंगे-फसाद जैसी गंभीर स्थितियों में इंटरनेट शटडाउन का फैसला लिया जा सकता है.

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अफवाहों और हिंसक घटनाओं को रोकने के लिये प्रशासन के लिए कदम

आमौतर पर ऐसा देखा जाता है कि अफवाहों और हिंसक घटनाओं को रोकने के लिये प्रशासन को एहतियातन इंटरनेट बंद या इंटरनेट शटडाउन जैसे कदमों का सहारा लेना पड़ता है. बताते चलें कि डिजिटल स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करते वाली संस्था ‘सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर’ ने वर्ष 2018 में इंटरनेट शटडाउन पर एक पुस्तिका जारी की थी, जिसमें इंटरनेट शटडाउन को परिभाषित करते हुए लिखा था कि ‘समय की एक निश्चित अवधि के लिये सरकार द्वारा एक या एक से अधिक इलाकों में इंटरनेट पर पहुँच को अक्षम करना’ इंटरनेट शटडाउन कहलाता है.

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हमेशा सरकार द्वारा किया जाता है इंटरनेट शटडाउन

दरअसल इंटरनेट शटडाउन हमेशा सरकार द्वारा किया जाता है. इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को किसी क्षेत्र विशेष में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का आदेश सरकार की एक निश्चित एजेंसी द्वारा दिया जाता है. इंटरनेट शटडाउन सदैव किसी एक विशेष क्षेत्र में लागू किया जाता है, जहाँ एक क्षेत्र विशेष के सभी लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते हैं.

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