Same Sex Marriage Case LIVE Updates Supreme Court Verdict – LIVE Updates: समलैंगिकता कोई शहरी अवधारणा नहीं… – सुप्रीम कोर्ट सुना रहा है फैसला
[ad_1]
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाया था
समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज अहम फैसला सुना रहा है. समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट इतिहासकारों का काम नहीं ले रहा है. विवाह की संस्था बदल गई है, जो संस्था की विशेषता है. कई देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता है, तो कई देशों में इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है. भारत में समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ही समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाया था. इसके बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग उठ रही है, लेकिन सरकार इसके पक्ष में नहीं है. सरकार का कहना है कि ये न सिर्फ भारतीय सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 158 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी बदलाव करना पड़ेगा.
LIVE Updates…
समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है…
सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि केवल एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़ा ही एक बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकता है. CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य यूनियनों के खिलाफ भेदभाव करता है. एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है. इसका प्रभाव समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को मजबूत करने पर पड़ता है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- CARA और गोद लेने पर…
अविवाहित जोड़ों को गोद लेने से बाहर नहीं रखा गया है, लेकिन नियम 5 यह कहकर उन्हें रोकता है कि जोड़े को 2 साल तक स्थिर वैवाहिक रिश्ते में रहना होगा. जेजे अधिनियम अविवाहित जोड़ों को गोद लेने से नहीं रोकता है, लेकिन केवल तभी जब CARA इसे नियंत्रित करता है लेकिन यह JJ अधिनियम के उद्देश्य को विफल नहीं कर सकता है. CARA ने विनियम 5(3) द्वारा प्राधिकार को पार कर लिया है.
…तो यह ट्रांसजेंडर अधिनियम का उल्लंघन होगा- सीजेआई
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किसी विषमलैंगिक व्यक्ति से शादी करना चाहता है, तो ऐसी शादी को मान्यता दी जाएगी, क्योंकि एक पुरुष होगा और दूसरा महिला होगी. ट्रांसजेंडर पुरुष को एक महिला से शादी करने का अधिकार है. ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार है और ट्रांसजेंडर महिला और ट्रांसजेंडर पुरुष भी शादी कर सकते हैं. अगर अनुमति नहीं दी गई, तो यह ट्रांसजेंडर अधिनियम का उल्लंघन होगा.
“यह कोई अंग्रेजी बोलने वाले सफेदपोश आदमी नहीं”
सीजेआई ने कहा कि यह कोई अंग्रेजी बोलने वाले सफेदपोश आदमी नहीं है, जो समलैंगिक होने का दावा कर सकते हैं, बल्कि गांव में कृषि कार्य में काम करने वाली एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है. यह छवि बनाना की कि लोग केवल शहरी और संभ्रांत स्थानों में मौजूद हैं, उन्हें मिटाना है. शहरों में रहने वाले सभी लोगों को कुलीन नहीं कहा जा सकता.
कई वर्ग इन परिवर्तनों के विरोध में हैं : सुप्रीम कोर्ट
फैसला सुनाते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या एसएमए में बदलाव की जरूरत है, यह संसद को पता लगाना है और अदालत को विधायी क्षेत्र में प्रवेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए? कई वर्ग इन परिवर्तनों के विरोध में हैं. विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव का फ़ैसला संसद को करना है. विशेष विवाह अधिनियम को असंवैधानिक नहीं ठहरा सकते हैं.
विवाह की नई संस्था बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते- CJI
सीजेआई ने कहा कि यदि विशेष विवाह अधिनियम को रद्द कर दिया जाता है, तो यह देश को स्वतंत्रता-पूर्व युग में ले जाएगा. यदि न्यायालय दूसरा दृष्टिकोण अपनाता है और SMA में शब्दों को पढ़ता है, तो वह विधायिका की भूमिका निभाएगा. संसद या राज्य विधानसभाओं को विवाह की नई संस्था बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.
“संसद ने विवाह संस्था में बदलाव लाने वाले कानून बनाए हैं…”
सीजेआई ने कहा कि यदि राज्य पर सकारात्मक दायित्व लागू नहीं किए गए, तो संविधान में अधिकार एक मृत अक्षर होंगे. समानता की विशेषता वाले व्यक्तिगत संबंधों के मामले में अधिक शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानता प्राप्त करता है. अनुच्छेद 245 और 246 के तहत सत्ता में संसद ने विवाह संस्था में बदलाव लाने वाले कानून बनाए हैं.
विवाह का रूप बदलता रहा है…CJI
समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट इतिहासकारों का काम नहीं ले रहा है. विवाह की संस्था बदल गई है, जो संस्था की विशेषता है. सती और विधवा पुनर्विवाह से लेकर अंतरधार्मिक विवाह तक विवाह का रूप बदल गया है. शादी बदल गई है और यह एक अटल सत्य है और ऐसे कई बदलाव संसद से आए हैं.
समलैंगिकता कोई शहरी अवधारणा नहीं
समलैंगिकता समाज में सिर्फ उच्च वर्ग तक सीमित नहीं है. वहीं, समलैंगिकता कोई शहरी अवधारणा नहीं है. इस मुद्दे पर कुछ लोगों की सहमति है, तो कुछ की असहमति. कई वर्ग इन परिवर्तनों के विरोध में हैं. अदालत कानून बना नहीं सकती, व्याख्या कर सकती है.
समलैंगिक संबंध बनाना अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाया था. यानि अगर कोई समलैंगिक है, तो उसे इस आधार पर कोई सजा नहीं होगी.
क्या समलैंगिक विवाह को मिलेगी मान्यता
समलैंगिक विवाह के मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, संजय किशन कौल, रवींद्र भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ये फैसला सुनाएगी.
[ad_2]
Source link