Save Trees: जालोर में पेड़ बचाने का अनोखा मुहिम, 10 सालों में लगा दिए 5000 खेजड़ी, पूरे राज्य के किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत


Agency:News18 Rajasthan

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Save Trees: विकास की आंधी रफ्तार में उजड़ते पेड़ और कटते जंगलों के लिए जालोर के किसान ने अपने ही खेत को हरा-भरा जंगल बना डाला. पिछले 10 सालों में किसान ने 5000 से ज्यादा खेजड़ी लगा दिया. अब वह घर-घर जाकर दूसरे किस…और पढ़ें

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55 बीघा जमीन में लगे खेजड़ी के वृक्ष…

हाइलाइट्स

  • जालोर के किसान ने लगाए 5,000 से ज्यादा खेजड़ी के पेड़
  • मुरारदान बारहठ ने की खेजड़ी बचाने की अनोखी पहल
  • पर्यावरण और खेती के लिए लाभकारी हैं खेजड़ी के पेड़

जालोर. राजस्थान का राज्यवृक्ष खेजड़ी, जो मरुस्थल में जीवन का आधार है, न केवल फसलों को छांव देता है बल्कि पर्यावरण को भी संतुलित रखता है. लेकिन हाल के वर्षों में सोलर प्लांट्स की बढ़ती संख्या के कारण खेजड़ी के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. इस संकट के बीच, जालोर जिले के सायला तहसील के हरमू गांव के एक किसान ने इस वृक्ष को बचाने का बीड़ा उठाया और अपने खेत में 5,000 से अधिक खेजड़ी के पेड़ लगाए हैं.

एक दशक पहले खेजड़ी बचाने के अभियान की शुरुआत
मुरारदान बारहठ की यह मुहिम आसान नहीं थी. उन्होंने एक दशक पहले इस अभियान की शुरुआत की थी. जब उन्होंने देखा कि आसपास के इलाकों में खेजड़ी के पेड़ तेजी से काटे जा रहे हैं, तो उन्होंने इसे बचाने का फैसला किया. उन्होंने न केवल नए पेड़ लगाए, बल्कि पुराने और सूख रहे पेड़ों को जोधपुर वन विभाग के वैज्ञानिकों से उपचारित करवाया, ताकि वे फिर से हरे-भरे हो सकें.

खेजड़ी के वृक्ष को कहते हैं मारवाड़ की तुलसी
किसान मुरारदान बारहठ ने लोकल 18 को बताया कि ‘खेजड़ी के वृक्ष को मारवाड़ की तुलसी भी कहा जाता है. खेजड़ी केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि खेती के लिए भी बेहद लाभकारी है. इसकी जड़ों से मिट्टी की नमी बनी रहती है, जिससे आसपास की फसलें ज्यादा उपज देती हैं. इसके नीचे कई प्रकार की जैविक फसलें उगाई जा सकती हैं, जो किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती हैं.’

गांव में चलाया जागरूकता अभियान
मुरारदान न केवल खुद खेती में खेजड़ी का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों को भी इसके लाभ समझा रहे हैं. वे गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं, ताकि लोग इस पेड़ को संरक्षित करें और अपनी खेती में इसका इस्तेमाल करें.

राज्य के किसानों के लिए बन गई प्रेरणा
किसान मुरारदान की इस पहल ने पूरे इलाके में जागरूकता फैला दी है. अब कई किसान उनकी राह पर चलते हुए अपने खेतों में खेजड़ी के पेड़ लगा रहे हैं. यह पहल सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे राज्य के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गई है.

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खेजड़ी बचाने के लिए जालोर के किसान ने खेत को ही बना दिया हरा-भरा जंगल



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