Scientists Are Making Supersonic Plane That Will Reach Anywhere On Earth In 2 Hours
Supersonic Plane: किसी भी सफर में समय की बचत करने के लिए हवाई मार्ग सबसे बढ़िया ऑप्शन होता है. हालांकि, यह थोड़ा महंगा जरूर पड़ता है, लेकिन इससे समय की काफी बचत हो जाती है. इसी कड़ी में इतिहास में एक विमान बना था, जो आवाज की रफ्तार से भी तेज दौड़ता था. यह दुनिया का पहला सुपरसोनिक विमान भी था, जिसका नाम कॉनकार्ड था. हवा से बातें करने वाला यह विमान न्यूयॉर्क से लंदन के बीच की दूरी मात्र 3 घंटे से भी कम समय में तय कर लेता था. यह 2172 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज रफ्तार से उड़ता था. हालांकि, इसका मेंटेनेंस बहुत ज्यादा था, इसलिए इसका सफर की महंगा होता था. साल 2000 में हुए एक हाई प्रोफाइल हादसे के बाद इस विमान को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब सुपरसोनिक विमान फिर से वापस आ रहा है.
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आ रहा है कॉनकार्ड का बेटा
सुपरसोनिक विमान कॉनकार्ड (Concorde) के बंद होने के करीब 20 साल बाद अब उसका एक नया रूप आ रहा है. नासा ने इस विमान का नाम एक्स-59 रखा है. हालांकि, कॉनकार्ड की तुलना में इसकी रफ्तार कम होगी. वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश एविएशन के एक्स्पर्ट एक ऐसा हवाई जहाज बनाने की कल्पना कर रहे हैं, जो 2 घंटे से भी कम समय में दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचने में सक्षम हो.
नासा ने किया है ऐलान
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने सुपरसोनिक विमान, जिसे सन ऑफ कॉनकार्ड भी कहा जा रहा है, एक्स-59 का ऐलान किया था. एजेंसी का कहना है कि बहुत जल्द यह अपनी पहली उड़ान भरेगा. हालांकि, यह कॉनकार्ड की तुलना में धीमा और छोटा होगा. इसकी रफ्तार लगभग 1500 किमी/घंटा होगी, जो न्यूयॉर्क से लंदन की यात्रा लगभग 3:30 घंटे कम कर देगा.
सबऑर्बिटल फ्लाइट्स तकनीक पर किया जा रहा काम
ब्रिटेन के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (CAA) ने एक रिपोर्ट में कहा कि यात्रा की रफ्तार को कई गुना बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर प्रयोग सफल रहते हैं तो सिडनी और लंदन के बीच का सफर, जिसमें अभी 22 घंटे लगते हैं, फिर 2 घंटे से भी कम समय में पूरा किया जा सकेगा. एक्सपर्ट्स इन्हें फिलहाल सबऑर्बिटल फ्लाइट्स (suborbital flights) नाम दे रहे हैं.
5632 किमी प्रति घंटे होगी रफ्तार
सीधे शब्दों में कहें तो सबऑर्बिटल फ्लाइट्स की रफ्तार 3500 मील यानी 5632 किलोमीटर प्रतिघंटे होगी. अनुमान है कि इन फ्लाइट्स से 2 घंटे के भीतर पृथ्वी पर कहीं भी पहुंचा जा सकता है.
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