Sea Shell: अद्भुत हैं सीशेल से बनीं ये चीजें, बिहार के कलाकार कर रहे कमाल, रहती है खूब डिमांड


Bhopal: राजधानी भोपाल में बीते सप्ताह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर भोपाल हाट का आयोजन किया गया था. इसमें देशभर से अद्भुत कलाकारों का मेला लगा था. देश के कोने-कोने से व्यापारी इस मेले में आए थे. इन्हीं में एक व्यापारी समूह बिहार से भी आया था, जो सीशेल से तमाम तरह के आइटम बनाता है. जैसे शर्ट की बटन, नमक की डिबिया, गले की माला और सिंदूर रखने की डिबिया.

मोह लेती है सुंदरता
सीशेल से बना ये सामान देखने में इतना खूबसूरत लगता है कि इसे देखते ही खरीदने की इच्छा हो जाती है. यहां मिलने वाले आइटम में से क्या लें और क्या ना लें, ये तय करना मुश्किल हो जाता है. जानते हैं कि ये कलाकार सीशेल से किस प्रकार तमाम तरह का सामान बनाते हैं और इसे बनाने की सामग्री कहां से आती है.

अंडमान से मंगाते हैं सीशेल 
बिहार के इस व्यापारी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि, वे सीशेल अंडमान जैसी जगहों से मंगाते हैं. फिर इसके बाद फैक्ट्री में इन सीशेल की सफाई की जाती है. सफाई के बाद इनकी असली खूबसूरती निकलकर आती है और उसके बाद कलाकार इनसे तमाम तरह का सामान बनाते हैं.

खानदानी है ये कलाकारी
बिहार के कलाकार ने आगे बताया कि, सीशेल से अलग-अलग चीजें बनाने में उनका परिवार वर्षों से लगा हुआ है. इस काम में उनके दादा, पापा और अब वो खुद लगे हुए हैं. कुल मिलाकर उनके यहां पिछली कई पीढ़ियों से ये काम हो रहा है और हर पीढ़ी खुशी-खुशी और उतनी ही रुचि से ये बिजनेस संभालती है.

देशभर में रहती है मांग
व्यवसायी ने बताया कि, सीशेल यानी समुद्री सीपियों से बनी चीजों की देशभर में मांग रहती है. अब ऐसा इसलिए क्योंकि समुद्री सीपियों से बनी चीजें जैसे कानों की बालियां और गले का हार बाकी नेकलेस के मुकाबले ज्यादा चमकदार दिखता है. इस कारण सीशेल से बने प्रोडक्ट्स को लोग अब ज्यादा पसंद करते हैं.

सरकार का नही मिला कोई सपोर्ट
बिहार के इन कलाकारों ने ये भी कहा कि, उनका परिवार वर्षों से इस कला को जीवित रखे हुए है. लेकिन फिर भी सरकार से उन्हें कोई आर्थिक सहयोग नही मिलता. वे खुद से ही इस कला को जीवित रखे हुए हैं. परिवार भी इसमें मदद करता है.

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