Sengol Row New Parliament Building Inauguration PM Modi Meets Adheenams Before The Sengol Installation

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New Parliament Building Inauguration: सेंगोल को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष में घमासान चल रहा है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन से एक दिन पहले अपने आवास पर शनिवार (27 मई) अधीनम (पुजारी) से मिले. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य विपक्ष दलों पर जमकर हमला करते हुए कहा कि इन्होंने तमिल लोगों के काम को महत्व नहीं दिया है. 

पीेएम मोदी ने बिना नाम लिए कहा, ”हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया जो दिया जाना चाहिए था. अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है.” उन्होंने कहा कि तमिल परंपरा में शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था, सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा. बता दें कि इस दौरान तमिलनाडु से दिल्ली आए अधीनम ने पीएम मोदी को और मंत्रोच्चारण के बीच उन्हें सेंगोल सौंपा. 

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (24 मई) को कहा था कि ब्रिटिश हुकूमत के भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा. उनके इस दावे को कांग्रेस ने खारिज किया था. जिसके बाद से विवाद शुरू हो गया था. 

1947 का किया जिक्र
पीएम मोदी ने अधीनम से मिलने को सौभाग्य का बात बताया. उन्होंने आगे कहा कि 1947 में  एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया, उस समय की तस्वीरें हमें याद दिलाती है, आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के पन्नों से बाहर निकलकर जीवंत हो चुकी है, हमें यह भी पता चलता है, कि सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के साथ क्या किया गया है?

उन्होंने कहा कि 1947 में सेंगोल गुलामी हटाने का प्रतीक बना था, अच्छा होता कि आजादी के बाद इज पूज्य सेंगोल को गौरवमयी महत्तव दिया जाता है, इसे पैदल चलने वाली छड़ी के रूप में बना दिया था, आपका सेवक इस पूर्नजीवित करने काम किया है, आज इसे उचित स्थान मिल रहा है. 

कांग्रेस ने क्या कहा था?
कांग्रेस ने कहा था कि सेंगोल को लेकर कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को ब्रिटिश हुकूमत के भारत को सत्ता हस्तांतरित किए जाने का प्रतीक बताया हो. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि पीएम मोदीइस रस्मी राजदण्ड को तमिलनाडु में राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. 

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