Share Market Knowledge: शेयर बाजार में क्या होती है ‘फ्रंट रनिंग’, आम निवेशक कैसे बनता इसका शिकार, जानिए
नई दिल्ली. शेयर बाजार में गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए इनसाइडर ट्रेडिंग या फ्रंट रनिंग जैसे गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. इसके चलते आम निवेशकों को बड़ा नुकसान होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर इनसाइडर ट्रेडिंग या फ्रंट रनिंग होती क्या है और इस अपराध को किस तरह से अंजाम दिया जाता है. शेयर बाजार नियामक संस्था सेबी ने कई बार फ्रंट रनिंग में शामिल लोगों और संस्थाओं को पकड़ा है और उन पर कड़ा जुर्माना लगाते हुए उन्हें बाजार से बैन तक कर दिया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ संदिग्ध ‘फ्रंट-रनिंग’ लेनदेन से संबंधित मामलों के निपटान के लिए 6 इकाइयों ने 3.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.
क्या है फ्रंट रनिंग
फ्रंट रनिंग को फॉरवर्ड रनिंग भी कहा जाता है. यह इनसाइडर ट्रेडिंग से जैसी होती है. इसमें किसी निवेशक या ब्रोकर को कंपनी की अंदर की जानकारी होती है और वह इस सूचना का इस्तेमाल कंपनी के शेयरों के जरिए अवैध तरीके से पैसा कमाने के लिए करता है. इसमें बड़े ब्रोकर या निवेशक पहले से शेयरों में पॉजिशन बनाकर बैठ जाते हैं और कंपनी से जुड़ी खबर सामने आने के बाद बेचकर निकल जाते हैं. इस तरह के गैर-कानूनी से आम निवेशकों को बड़ा नुकसान होता है.
सेबी ने लिया एक्शन
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपने आदेश में बाजार नियामक के साथ मामले का निपटारा करने वाली इकाइयों में समीर कोठारी, जितेन्द्र एन केवलरमानी, कुंतल गोयल, जितेंद्र एन केवलरमानी एचयूएफ, दीपिका जे केवलरमानी और पल्लवी शैलेश नायक शामिल हैं. निपटान राशि के अलावा सेबी की समिति ने मामले को इसके लिए अन्य शर्तें भी रखीं.
इसमें अवैध लाभ के रूप में अर्जित 2.06 करोड़ रुपये की राशि को वापस लौटाना शामिल है. साथ ही संदिग्ध लेनदेन की तिथि से लेकर वापसी के लिए निपटान आवेदन दाखिल करने की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा जिसका भुगतान समीर कोठारी, कुंतल गोयल और जितेंद्र एन केवलरमानी द्वारा किया जाना है. इसके अलावा, छह इकाइयां स्वेच्छा से स्वयं को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से खुद को अलग करेंगी.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 20:46 IST