Shuttlecock is most important in badminton game do you know from which bird feather shuttlecock is made


बैडमिंटन गेम आप लोगों में से अधिकांश लोगों ने जरूर ही खेला होगा. कुछ लोगों ने बचपन में इस खेल को खेला है, कुछ लोग अच्छी एक्सरसाइज के लिए भी हर उम्र में हर दिन बैडमिंटन खेलते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बैडमिंटन के शटलकॉक में जो पंख लगे होते हैं, वो किस पक्षी के होते हैं. आज हम आपको बैडमिंटन के शटलकॉक के बारे में बताएंगे. 

बैडमिंटन गेम

सबसे पहले ये जानते हैं कि बैडमिंटन की शुरूआत सबसे पहले किस देश में हुई थी? बता दें कि बैडमिंटन की शुरुआत भारत में हुई थी. 1873 में पूना में इंग्लिश आर्मी ऑफिसर्स ने इस खेल को एक समारोह में खेला था. उस वक्त ड्यूक ऑफ ब्यूफोर्ट के आदर में जलसा रखा गया था. ड्यूक की कंट्री एस्टेट का नाम बैडमिंटन था और इसलिए इस नए खेल को बैडमिंटन नाम से पुकारा गया था. यह खेल इतना लोकप्रिय हो गया कि 1893 में ग्रेट ब्रिटेन में बैडमिंटन असोसिएशन बनाई गई थी. 1934 तक यह खेल अंतरराष्ट्रीय हो चुका था, अब इंटरनेशनल असोसिएशन में 100 से ज्यादा देश शामिल हैं.

बैडमिंटन का शटलकॉक

क्रिकेट में जैसे बॉल के बिना मैच का कोई महत्व नहीं होता है. ठीक वैसे ही बैडमिंटन की शटलकॉक के बिना मैच नहीं हो सकता है. ये दिखने में तो बहुत ही छोटी सी चीज लगती है, लेकिन इसे बनाने का प्रोसेस काफी पेचीदा है. क्योंकि अगर शटलकॉक को बनाते समय एक भी गलती हुई, तो इसका असर खेल पर पड़ता है. इसीलिए कंपनी द्वारा इसे बनाने के बाद मशीन के जरिए टेस्टिंग भी की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि शटलकॉक सही से ग्लाइड होगी या नहीं. इसे ट्रेडिशनली पंख से बनाया जाता था, लेकिन अब प्लास्टिक का उपयोग भी किया जाता है. हालांकि, स्टेट, नेशनल, इंटरनेशनल लेवल के खेलों के लिए हमेशा पंखों वाली शटलकॉक ही यूज होती है.

शटलकॉक का शेप

किसी भी शटलकॉक का शेप सही होना जरूरी होता है. क्योंकि तभी ये ठीक से ग्लाइड कर पाएगी. इसलिए कोनिकल शेप को बनाने में बहुत ध्यान दिया जाता है. बैडमिंटन के लिए सबसे जरूरी शटलकॉक को शुरुआती समय से ही पक्षियों के पंखों से बनाया जाता है. अब सवाल ये है कि किस पक्षी का पंख इसमें इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि चीन में गूज फेदर्स का प्रयोग किया जाता है और भारत में व्हाइट डक के पंखों को इस्तेमाल किया जाता है. एक छोटी सी बॉल के इर्द-गिर्द स्कर्ट जैसे 16 पंख लगाए जाते हैं, जिन्हें धागे और ग्लू की मदद से जोड़ा जाता है. ये पंख पक्षी के शरीर से नोचे जाते हैं. आपको सुनकर हैरानी होगी कि ये पंख पक्षियों के शरीर से नोचे जाते हैं, जितनी जरूरत होती है उससे ज्यादा पंख नोचे जाते हैं और उसके बाद इन्हें साफ किया जाता है. मेकिंग के दौरान जितने उपयोगी योग्य पंख होते हैं, उनसे शटलकॉक बनाई जाती है और जितने सही नहीं होते उन्हें फेंक दिया जाता है. बता दें कि हमेशा ऐसे पंख इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनका वजन 1.7 ग्राम से 2.1 ग्राम के बीच होना चाहिए, ताकि शटलकॉक आसानी से उड़ सके.

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