Sikh For Justice Pro Khalistan Organization From Which Arvind Kejriwal Has Been Accused Of Taking Donations – सिख फॉर जस्टिस: खालिस्तान की मांग करने वाला वह संगठन जिससे चंदा लेने का आरोप अरविंद केजरीवाल पर लगा है



4uukmgkk gurpatwant singh Sikh For Justice Pro Khalistan Organization From Which Arvind Kejriwal Has Been Accused Of Taking Donations - सिख फॉर जस्टिस: खालिस्तान की मांग करने वाला वह संगठन जिससे चंदा लेने का आरोप अरविंद केजरीवाल पर लगा है

किसने लगाया है अरविंद केजरीवाल पर आरोप

केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश उपराज्यपाल ने आशु मोंगिया नाम के एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर की है. मोंगिया वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन नाम के संगठन से जुड़े हैं.यह प्रवासी हिंदुओं का एक संगठन है. मोगिंया का आरोप है कि एसएफजे से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को एक करोड़ 60 लाख डॉलर का चंदा मिला है. उनका दावा है कि यह चंदा देविंदर पाल भुल्लर की रिहाई के लिए मुहिम चलाने और खालिस्तान के लिए समर्थन की उम्मीद में दिया गया है. 

भुल्लर को दिल्ली के रायसीना रोड स्थित युवा कांग्रेस मुख्यालय के पास 11 सितंबर 1993 को हुए बम धमाके के दोष में फांसी की सजा सुनाई गई है. इस धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई थी.भुल्लर की रिहाई के लिए भारत में समर्थन की मुहिम चलाई जा रही है. उसकी दया याचिका को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं.

कब और किसने बनाई थी सिख फॉर जस्टिस?

एसएफजे की स्थापना 2007 में गुरपतवंत सिंह पन्नू ने की थी. पन्नू अमेरिका में रहकर वकालत करता है. एसएफजे की वेबसाइट के मुताबिक यह संगठन भारत के पंजाब में सिखों के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार हासिल करना चाहता है. इसका मकसद खालिस्तान नाम के एक स्वतंत्र देश की स्थापना करना है. 

एसएफजे ने ‘रेफरेंडम-2020’नाम से एक अभियान शुरू किया था.इसके तहत संगठन ने भारत के पंजाब और दुनिया के दूसरे देशों में रहने वाले सिखों से ऑनलाइन वोट करने की अपील की थी.इस पर बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत ने 40 वेबसाइटों को एसएफजे और खालिस्तान का समर्थक बताते हुए उन पर पाबंदी लगा दी थी.एसएफजे खुद को मानवाधिकारों की रक्षा करने वाला संगठन बताता है, लेकिन भारत ने सिख फॉर जस्टिस को  आतंकवादी संगठन बताते हुए 10 जुलाई 2019 को यूएपीए के प्रावधानों के तहत पर पाबंद कर दिया था. 

सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग का समर्थन करने वाला यह संगठन हिंसा का समर्थन करने से भी गुरेज नहीं करता है. इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि ‘रेफरेंडम-2020’के लिए कनाडा में बनाए गए मुख्यालय का नाम तलविंदर सिंह परमार के नाम पर रखा गया था. एसएफजे परमार को शहीद मानता है. परमार पर कनाडा से भारत आ रही एयर इंडिया फ्लाइट में 23 जून 1985 को हुए धमाके का मास्टरमाइंड माना जाता है.इसमें धमाके में 329 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 24 भारतीय और 268 कनाडाई नागरिक थे. 

एसएफजे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के दोषियों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह का भी समर्थन करता है.पन्नू ने 2020 में जारी एक वीडियो में कहा था कि ‘शहीद’बेअंत सिंह के सम्मान में जो कोई भी खालिस्तान का झंडा लहराएगा, उसे वो नया आईफोन उपहार में देगा. 

कहां का रहने वाला है गुरपतवंत सिंह पन्नू?

पन्नू का परिवार अमृतसर के पास खानकोट का रहने वाला है.पन्नू के पिता महिंदर सिंह पंजाब में सरकारी अधिकारी थे. पन्नू की शुरुआती शिक्षा लुधियाना में हुई.उसने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.इसके बाद वह 1992 में अमेरिका चला गया.वहां उसने कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से एमबीए और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कानून की पढाई की है. 

गृह मंत्रालय ने यूएपीए कानून के तहत एक जुलाई 2020 को नौ लोगों को आतंकवादी घोषित किया था.इसमें गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम सातवें नंबर पर था. इससे पहले एनआईए ने 15 जनवरी 2019 को पन्नू के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.एनआईए की अदालत ने पन्नू के खिलाफ तीन फरवरी 2021 को गैर जमानती वारंट जारी किया था.अदालत में हाजिर न होने पर नवंबर 2022में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था.इसके बाद सितंबर 2023 में पंजाब के मोहाली की एक विशेष एनआईए अदालत ने पन्नू की संपत्ति जब्त करने के आदेश दिया.इसके बाद खानकोट गांव में पन्नू की 5.7 एकड़ जमीन और चंडीगढ़ के सेक्टर 15 सी में स्थित उसके घर का एक हिस्सा जब्त कर लिया गया था. 

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