Since 2015 Over 13.5 Crore People Escape National Multidimensional Poverty Index


वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ बहुआयामी गरीबी से हुए मुक्त

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी.

नई दिल्ली:

नीति आयोग ने अपने ताजा नेशनल मल्टीडाइमेंशियल पावर्टी इंडेक्स (National Multidimensional Poverty Index) रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में नीति आयोग के वाईस चेयरमैन सुमन बेरी ने कहा, गरीबी में गिरावट लगभग हर राज्य में दर्ज़ की गई है. देश में गरीबी घट रही है.

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नीति आयोग की ताजा मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स यानि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के मुताबिक –

  • वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच 5 साल में करीब 13.50 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए.
  • इस दौरान बहुआयामी गरीबी वाले व्यक्तियों की संख्या 24.85% से गिरकर 14.96% हो गई. यानी इन 5 सालों में बहुआयामी गरीबी वाले व्यक्तियों की संख्या 9.89% तक घटी.
  • ये सूचकांक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 पर आधारित है.  

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने एनडीटीवी से कहा, “हमने रिपोर्ट में पाया है कि 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोग लोगों ने गरीबी को escape किया है (यानी गरीबी से बाहर हो गए हैं). तकरीबन सारे राज्यों में गरीबी कम हुई है. हम मानते हैं कि सरकारी योजनाओं के बेहतर इम्प्लीमेंटेशन की वजह से ये संभव हुआ है.”    

नीति आयोग के मुताबिक गरीबी में सबसे ज्यादा गिरावट ग्रामीण इलाकों में दर्ज की गई है. इन पांच वर्षों में ग्रामीण इलाकों में गरीबी 32.6% (2015-16) से घटकर 19.3% (2019-21) हो गई. जबकि इस दौरान शहरी गरीबी 8.7% से गिरकर 5.3% हुई.

नीति आयोग के मुताबिक इन पांच वर्षों में पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते जैसे सभी इंडिकेटर में सुधार रिकॉर्ड किया गया है.

इस दौरान उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक 3.43 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए, जिसके बाद बिहार एवं मध्य प्रदेश का स्थान है. ओडिशा और राजस्थान में भी अच्छी गिरावट दर्ज़ हुई है. सुमन ने कहा कि कोरोना संकट का गरीबी पर ज्यादा असर नहीं हुआ.

गरीबी में बड़ी गिरावट राहत की खबर ज़रूर है लेकिन अब भी करीब 15% लोग बहुआयामी गरीबी से जूझ रहे हैं, और इस मोर्चे पर चुनौती अब भी बनी हुई है.



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