Supreme Court Directs J&K Administration To Publish Review Order Regarding Internet Ban – सुप्रीम कोर्ट ने J&K प्रशासन को इंटरनेट पर पाबंदी संबंधी समीक्षा आदेश प्रकाशित करने के दिए निर्देश


सुप्रीम कोर्ट ने J&K प्रशासन को इंटरनेट पर पाबंदी संबंधी समीक्षा आदेश प्रकाशित करने के दिए निर्देश

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वो केंद्र शासित प्रदेश में इंटरनेट सेवा बहाल करने को लेकर केंद्रीय गृह सचिव के तहत गठित विशेष समिति के समीक्षा आदेश को प्रकाशित करे. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि समीक्षा महज औपचारिकता नहीं हो सकती. न्यायमूर्ति बी.आर.गवई, न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हालांकि, स्पष्ट किया कि समिति में हुई चर्चा सार्वजनिक नहीं की जाएगी.

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पीठ ने कहा, ‘‘इस बात को ध्यान में रखते हुए कि समीक्षा आदेश से भी पक्षकारों के अधिकार प्रभावित होंगे. हम अपनी प्रथम दृष्टया राय व्यक्त करते हैं कि भले ही समीक्षा को लेकर हुए विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं हो, समीक्षा में पारित आदेशों को प्रकाशित करने की आवश्यकता है.”

जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालांकि समीक्षा आदेश एक आंतरिक तंत्र है, लेकिन इसे प्रकाशित करने में कोई बाधा नहीं है. शीर्ष अदालत ने मई 2020 में केंद्र से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध की आवश्यकता का आकलन करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कारण पड़ोसी (पाकिस्तान) को पता लगाने दीजिए. कोर्ट ने मामले की सुनवाई बंद की.

जनवरी में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इंटरनेट बैन से संबंधित समीक्षा आदेश प्रकाशित करने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि ऐसे आदेश अलमारी में नहीं रखे जाने चाहिए. केंद्र के वकील को निर्देश लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से जानना चाहा कि क्या इंटरनेट प्रतिबंध के संबंध में समीक्षा आदेश सुप्रीम कोर्ट के अनुराधा भसीन मामले में फैसले के तहत सार्वजनिक किए गए या नहीं?

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा था कि उन आदेशों को अलमारी में नहीं रखा जाना चाहिए. पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज की इस दलील को खारिज कर दिया कि अदालत के समक्ष तत्काल याचिका में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करते समय लगाए गए ऐसे प्रतिबंध से संबंधित विचार-विमर्श के प्रकाशन की मांग की गई है.

नटराज ने कहा था कि याचिकाकर्ता की याचिका केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों से संबंधित समीक्षा आदेशों के संबंध में विचार-विमर्श की जानकारी प्रकाशित करने के लिए है. इस पर पीठ ने नटराज से कहा था कि विचार-विमर्श के बारे में भूल जाइये, आप आदेश प्रकाशित करें. क्या आप ये बयान दे रहे हैं कि समीक्षा आदेश प्रकाशित किये जायेंगे?

कोर्ट ने नटराज को निर्देश लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था

नटराज ने कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश प्राप्त करने की जरूरत है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं हो सकता है. हालांकि समीक्षा पारित करने वाले आदेशों को प्रकाशित करना आवश्यक होगा. कोर्ट ने नटराज को निर्देश लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था.

याचिकाकर्ता ‘फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स’ की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि जिन राज्यों में कभी न कभी इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाए गए, उन्होंने समीक्षा आदेश प्रकाशित किए, लेकिन ये समझ से परे है कि केवल जम्मू और कश्मीर ऐसा क्यों नहीं कर रहा है.



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