Supreme Court On Punjab Governments Petition Of Extending BSF Jurisdiction To 50 Kilometers – पंजाब पुलिस की जांच की कोई भी शक्ति नहीं छीनी: BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी



c5p4n3lg supreme court Supreme Court On Punjab Governments Petition Of Extending BSF Jurisdiction To 50 Kilometers - पंजाब पुलिस की जांच की कोई भी शक्ति नहीं छीनी: BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

पंजाब सरकार की तरफ से दी गई ये दलील

वहीं, पंजाब सरकार के लिए शादान फरासत ने कहा गुजरात और राजस्थान ये अलग है. गुजरात में दो शहरी केंद्र हैं और राजस्थान में रेगिस्तान हैं. पंजाब के लिए यह अलग है. इस शक्ति का प्रयोग अनुचित है . 50 किमी तक उनके पास सभी संज्ञेय अपराधों के लिए शक्ति है न कि केवल पासपोर्ट एक्ट आदि के लिए. सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस के तहत हमारी शक्ति लेता है. यह एक संघीय मुद्दा है.पंजाब एक छोटा राज्य है 

सभी सीमावर्ती राज्यों में BSF का अधिकार क्षेत्र

वहीं, केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया. SG तुषार मेहता ने कहा ,सभी सीमावर्ती राज्यों में BSF का अधिकार क्षेत्र है.1969 के बाद से गुजरात में 80 किलोमीटर था .अब यह एक समान है- 50 KMs.कुछ अपराध पासपोर्ट आदि पर बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र होगा.स्थानीय पुलिस का भी क्षेत्राधिकार होगा.पुलिस के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दिया गया है .मेघालय, मिजोरम और मणिपुर आदि भी छोटे राज्य हैं . पंजाब की आप सरकार तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा दायर याचिका पर आगे बढ़ रही है .

“यह संविधान के दायरे से बाहरऔर संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ”

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि यह संविधान के दायरे से बाहर है और संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है .पंजाब सरकार ने कहा कि 11 अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना का प्रभाव यह है कि “यह केंद्र द्वारा पंजाब के वादी-राज्य की शक्तियों और भूमिका पर अतिक्रमण के समान है. यहां तक कि 80% से अधिक सीमावर्ती जिलों में भी पंजाब के सभी जिला मुख्यालयों सहित सभी प्रमुख कस्बे और शहर भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किमी क्षेत्र के भीतर आते हैं .

याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना संविधान के दायरे से बाहर है क्योंकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II की प्रविष्टि 2 के उद्देश्य को विफल करती है जो कहती है कि पुलिस और कानून और व्यवस्था राज्य के विषय हैं और यह उन मुद्दों पर कानून बनाने के राज्य के पूर्ण अधिकार का अतिक्रमण करता है.

स्थानीय पुलिस अपने समवर्ती क्षेत्राधिकार से वंचित नहीं

केंद्र के लिए एसजी मेहता ने कहा,जहां तक सीमावर्ती राज्यों का सवाल है, यह एकरूपता लाने के लिए है.यह सभी सीमावर्ती राज्यों गुजरात, मेघालय, मिजोरम में 50 किमी क्षेत्राधिकार के समान है. स्थानीय पुलिस अपने समवर्ती क्षेत्राधिकार से वंचित नहीं है. उस 50 किमी के भीतर BSF  के पास सभी संज्ञेय अपराधों पर अधिकार नहीं है.केवल सीमा संबंधी मुद्दे जैसे अवैध प्रवेश, पासपोर्ट अपराध पर ही है. सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा ,हमें लगता है कि राज्य पुलिस की शक्ति छीनी नहीं गई है.संज्ञेय अपराधों में BSF जांच नहीं करेगी.इसलिए राज्य पुलिस से कुछ भी दूर नहीं जाता है.

वैसे भी चूंकि यह एक मामला है. दोनों पक्ष एक साथ बैठएं  और मुद्दों की पहचान करें.पंजाब पुलिस से कोई शक्ति नहीं छीनी गई है,जांच की शक्ति नहीं छीनी गई है.

केंद्र के निर्णय के खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

दरअसल 2021 में सीमा सुरक्षा बल यानी BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. केंद्र ने अधिसूचना जारी कर BSF के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया है. इससे पहले, पंजाब विधानसभा में 12 नवंबर 2021 को एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार से 11 अक्टूबर 2021 का अपना आदेश वापस लेने की मांग की गई है .

BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का मतलब है कि अब इस सुरक्षा बल को पंजाब, बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर अंदर तक तलाशी लेने, जब्त करने और गिरफ्तार करने का अधिकार मिल गया है .पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पास वाद दायर किया जिसने केंद्र को नोटिस जारी किया.



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