Supreme Court Raised Questions On The Jammu And Kashmir Bifurcation – पंजाब, पूर्वोत्तर के बारे में क्या कहेंगे… : सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के विभाजन पर उठाए सवाल



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जम्मू-कश्मीर एक अलग तरह का सीमावर्ती राज्य

केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करना एक अस्थायी उपाय है.  भविष्य में जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश से राज्य के रूप में वापस कर दिया जाएगा. चुनाव के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.  जम्मू-कश्मीर राज्य में दशकों से जो लगातार स्थिति बन रही है, वह अन्य सीमावर्ती राज्यों के साथ नहीं है. यह सिर्फ सीमावर्ती राज्य नहीं है, बल्कि यह एक अलग तरह का सीमावर्ती राज्य है. युवाओं को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए, इसी दिशा में हम काम कर रहे हैं. मैं इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताऊंगा. उन्होंने ये भी कहा कि अगर गुजरात और मध्य प्रदेश को विभाजित किया गया, तो उसके पैरामीटर अलग होंगे.

जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि सरकार से निर्देश मिला है कि लद्दाख स्थाई रूप से केंद्र शासित रहेगा जबकि जम्मू-कश्मीर अस्थाई रूप से ही मौजूदा स्थिति में रहेगा. लद्दाख में कारगिल और लेह मे स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे. एसजी ने गृहमंत्री के लोकसभा में दिए गए जवाब का हवाला दिया. उसमें अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं.

न्यायमूर्ति एसके कौल, ने बताया कि देश में कई राज्यों के साथ बॉर्डर जुड़े हुए हैं. इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि सभी पड़ोसी देशों से संबंध फ्रेंडली नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर के इतिहास (पत्थरबाजी, मौतें, हड़ताल, आतंकी हमले) और वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुख्यधारा में लाने की जरूरत है. न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “यह एक तरह की स्थिति नहीं है.” उन्होंने कहा, “हमने पंजाब की उत्तरी सीमा को देखा है – बहुत कठिन समय. इसी तरह उत्तर-पूर्व के कुछ राज्य…कल अगर इसी तरह की स्थिति बनती है कि इनमें से प्रत्येक राज्य को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है.  

इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि आपको बताना होगा  कि क्या जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा है. यहां लोकतंत्र की बहाली जरूरी है. इस प्रगति का कोई रोडमैप है?  केंद्र सरकार इसका जवाब दें. एसजी तुषार मेहता को लंच ब्रेक के बाद इस पर निर्देश के साथ वापस आने के लिए कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवाल पूछे कि आखिर संसद को राज्य के टुकड़े करने और अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अधिकार किस कानूनी स्रोत से मिला?  इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है?  तीसरा सवाल ये कि आखिर कब तक ये अस्थाई स्थिति रहेगी?  चुनाव करा कर विधान सभा बहाली और संसद में प्रतिनिधित्व सहित अन्य व्यवस्था कब तक बहाल हो पाएगी?  लोकतंत्र की बहाली और संरक्षण सबसे जरूरी है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कश्मीर के लिए सिर्फ इसी दलील के आधार पर ये सब नहीं कर सकते कि जम्मू कश्मीर सीमावर्ती राज्य है और यहां पड़ोसी देशों की कारस्तानी और सीमापर से आतंकी कार्रवाई होती रहती है. यह सदन में दिया गया बयान है कि यह एक अस्थायी  है. स्थिति सामान्य होने के बाद हम चाहते हैं कि यह फिर से राज्य बने. सीजेआई : हम इस तथ्य से अवगत हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं, हम समझते हैं कि अंततः राष्ट्र की सुरक्षा ही सर्वोपरि चिंता है, लेकिन बंधन में डाले बिना, आप और एजी उच्चतम स्तर पर निर्देश मांग सकते हैं.  क्या कोई समय सीमा ध्यान में है?

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