Supreme Court Referred The Matter Of Setting Borrowing Limit For Kerala To A Constitution Bench Of 5 Judges – केरल के लिए उधार लेने की सीमा निर्धारित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा


केरल के लिए उधार लेने की सीमा निर्धारित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

केरल के लिए उधार लेने की सीमा निर्धारित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है. संविधान पीठ तय करेगी कि क्या केंद्र राज्यों की उधार लेने की सीमा निर्धारित कर सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से केरल सरकार को राहत नहीं मिली.  केंद्र सरकार को उधार सीमा प्रतिबंधों में ढील देने का निर्देश देने की अर्जी खारिज कर दी गई. इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान अतिरिक्त धनराशि उधार लेने की इजाजत नामंजूर कर दी गई.

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अदालत ने कहा कि याचिका दायर करने के बाद राज्य को केंद्र से 13608 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है. प्रथम दृष्टया यह माना जाता है कि एक बार जब कोई राज्य केंद्र से उधार लेता है तो केंद्र द्वारा अगले भुगतान में कमी की जा सकती है. इस मामले में  सुविधा का संतुलन केंद्र के पास है. इससे पहले केरल बनाम केंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य, केंद्र को बैठकर बात करनी चाहिए. वित्त सचिव और वित्त मंत्रालय बैठक कर इन बातों पर चर्चा क्यों नहीं करते. सौहार्दपूर्ण संबंध बड़े पैमाने पर देश के लिए काम करते हैं.

केंद्र पर राज्य की उधार लेने की सीमा कम करने का आरोप लगाया गया है. केरल सरकार ने कहा है कि डीए, पीएफ, पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं. वहीं केंद्र ने अपनी ओर से पहले एक हलफनामे में राज्य की उधार लेने की क्षमता की सीमा को सही ठहराया था. यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया था कि सार्वजनिक वित्त प्रबंधन एक राष्ट्रीय मुद्दा है और राज्यों द्वारा अनियंत्रित उधार लेने से देश की क्रेडिट रेटिंग प्रभावित होगी और यह वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है.

केंद्र ने यह भी कहा कि केरल देश के सबसे आर्थिक रूप से अस्वस्थ राज्यों में से एक है. केरल सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  सुनवाई कर रहा है. सुनवाई में केरल सरकार ने कहा था कि देश के कुल कर्ज या बकाया देनदारियों का लगभग 60 फीसदी हिस्सा केंद्र का है और शेष 40 फीसदी हिस्सा सभी राज्यों का. केंद्र के नोट का जवाब देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि 2019-2023 की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के कुल कर्ज में केरल का योगदान 1.70-1.75 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 7.22 लाख करोड़ रुपये की उधारी वित्त आयोग द्वारा निर्धारित संयुक्त सीमा के भीतर होगी.

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