Supreme Court Rejects Make My Trips Plea Against Booking Dot Com – SC ने बुकिंग.कॉम के खिलाफ मेक माई ट्रिप की याचिका को किया खारिज, सुनवाई से किया इनकार


SC ने बुकिंग.कॉम के खिलाफ मेक माई ट्रिप की याचिका को किया खारिज, सुनवाई से किया इनकार

पीठ यह स्पष्ट करने पर सहमत हुई कि इस आदेश से एकल-न्यायाधीश के समक्ष आगे की सुनवाई प्रभावित नहीं होगी.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मेक माई ट्रिप (Make My Trip) द्वारा बुकिंग.कॉम (Booking.com) के खिलाफ दायर की गई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. दायर की गई अर्जी में आरोप लगाया गया है कि गूगल के विज्ञापन कार्यक्र के जरिए उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया जा रहा है. मेक माई ट्रिप ने अपनी याचिका में इस दलील के साथ अदालत का रुख किया कि विज्ञापन कार्यक्रम के कारण हमारी कंपनी के खोज परिणाम सीधे प्रतिस्पर्धी बुकिंग.कॉम के लिंक पर जा रहे हैं, जो उनके व्यवसायिक हितों के खिलाफ है. सुनवाई के दौरान सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि क्या इसमें ट्रेडमार्क उल्लंघन का कोई मामला बन रहा है? क्योंकि मेक माई ट्रिप और बुकिंग. कॉम की सेवाएं अलग अलग किस्म की हैं. इस वजह से दोनों की अलग सेवाओं के बीच भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं है.

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पीठ ने कहा कि यदि आप मेक माई ट्रिप पर काम करना चाहते हैं, तो आप बुकिंग.कॉम पर लॉग इन क्यों करेंगे? मेक माई ट्रिप की ओर से मामला वकील मुकूल रोहतगी और गौरव पचनंदा द्वारा पेश किया गया जबकि गूगल की ओर से डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और हरीश साल्वे मौजूद रहें. मेक माई ट्रिप ने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. बुकिंग.कॉम ने नीलामी में सबसे ऊंची बोली लगाकर गूगल विज्ञापन कार्यक्रम पर ‘मेक माई ट्रिप’ कीवर्ड खरीदा था. इस पर मेक माई ट्रिप ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि एक कीवर्ड के रूप में ‘मेक माई ट्रिप’ के लिए गूगल खोज परिणाम बुकिंग.कॉम के प्रायोजित लिंक प्रदर्शित करता है जो हमारा निकटतम प्रतियोगी है.

मेक माई ट्रिप ने इस तरह के प्रायोजित लिंक के उपयोग के जरिए अपने व्यवसाय को एक प्रतिस्पर्धी की ओर मोड़ने पर आपत्ति जताई थी. इस पर मेक माई ट्रिप ने तर्क दिया था जब भी कोई इंटरनेट उपयोगकर्ता ऐसे प्रयोजित लिंक पर क्लिक करता है तो विज्ञापनदाता यानी इस मामले में बुकिंग.कॉम, गूगल को भुगतान करता है. इससे विज्ञापनों से होने वाली आय का नुकसान होता है. 

दरअसल, दिसंबर 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट ने माना था कि गूगल विज्ञापन कार्यक्रम पर मेक माई ट्रिप ट्रेडमार्क का उपयोग ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के तहत उल्लंघन या पारित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, मेक माई ट्रिप ने न केवल डिवीजन बेंच के आदेश की शुद्धता पर सवाल उठाया, बल्कि एकल-न्यायाधीश के विज्ञापन अंतरिम आदेश के खिलाफ गूगल द्वारा अपील पर पारित किए जाने वाले ऐसे डिवीजन बेंच के आदेश पर भी आपत्ति जताई थी. 

विशेष रूप से एकल- न्यायाधीश ने पहले मेक माई ट्रिप के पक्ष में निषेधाज्ञा दी थी. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने संक्षेप में पूछा कि वर्तमान मामले में ट्रेडमार्क कानून के उल्लंघन का मुद्दा कैसे उत्पन्न होगा? मेक माई ट्रिप अंतरिम आदेश को क्यों चुनौती दे रहा है? रोहतगी ने जवाब दिया कि यह कोई अंतरिम आदेश नहीं है. मामले का निपटारा कर दिया गया है. दोनों आदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ और एकल न्यायाधीश के आदेश 30-40 पेज के हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने अंततः याचिका खारिज कर दी है. फिर भी, पीठ यह स्पष्ट करने पर सहमत हुई कि इस आदेश से एकल-न्यायाधीश के समक्ष आगे की सुनवाई प्रभावित नहीं होगी.



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