Supreme Court Relief To Andaman Chief Secretary And LG, Closure Of Contempt Case In Calcutta High Court – अंडमान के मुख्‍य सचिव और LG को सुप्रीम राहत, कलकत्ता हाईकोर्ट में चल रहे अवमानना मामले को किया बंद


अंडमान के मुख्‍य सचिव और LG को 'सुप्रीम' राहत, कलकत्ता हाईकोर्ट में चल रहे अवमानना मामले को किया बंद

CJI ने कहा कि मुख्य सचिव को निलंबित कर और उपराज्‍यपाल पर जुर्माना लगाकर क्या हासिल होगा. (फाइल)

नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट ने अंडमान के मुख्‍य सचिव और उपराज्‍यपाल को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चल रही अवमानना को बंद कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अब अवमानना का मामला चलाने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने कहा कि प्रशासन 30 नवंबर तक हाईकोर्ट के आदेशों के तहत मजदूरों को बढ़ा हुआ वेतन और सुविधाएं दें. इस मामले में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुख्य सचिव को निलंबित कर और उपराज्‍यपाल पर जुर्माना लगाकर क्या हासिल होगा. 

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव केशव चंद्रा को निलंबित कर दिया था और इसके साथ ही उपराज्यपाल डीके जोशी पर अनुपालन नहीं करने पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, जो उन्हें अपने कोष से वहन करना था. कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्‍लेयर पीठ ने यह आदेश दिया था. हालांकि इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.  

जानकारी के मुताबिक, पिछले वर्ष 19 दिसंबर को पारित पहले आदेश के तहत द्वीप प्रशासन द्वारा नियोजित करीब 4,000 दैनिक रेटेड मजदूरों (DRM) को उच्च वेतन और डीए प्रदान किया गया था. मुख्य सचिव और उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन को अदालत ने डीआरएम के लिए 1/30वें वेतन और महंगाई भत्ते का लाभ जारी करने के आदेश का पालन न करने के लिए दोषी पाया था, जो 2017 से लंबित है. कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस विभास रंजन दे की पीठ ने यह आदेश दिया था कि प्रशासन में अगला वरिष्ठतम अधिकारी कार्यभार संभालेगा और कार्यों का निर्वहन करेगा. 

इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होनी है. 

अंडमान सार्वजनिक निर्माण विभाग मजदूर संघ की ओर से पेश वकील गोपाल बिन्नू कुमार ने कहा कि 1986 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार डीआरएम नियमित कर्मचारियों के बराबर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और 1/30वें वेतन और महंगाई भत्ते के वित्तीय लाभ के हकदार हैं. हालांकि 22 सितंबर, 2017 को यहां के स्थानीय प्रशासन ने एक ज्ञापन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि डीआरएम को एकमुश्त वेतन दिया जाएगा. इसके लिए उन्होंने चुनिंदा लाभार्थियों को चुना. प्रशासन द्वारा फिर से जारी किए जाने के बाद हमने इस मामले को अदालत में चुनौती दी थी. ज्ञापन में कहा गया कि छूटे हुए डीआरएम को उनका वेतन 9 मई, 2023 से मिलेगा, न कि 2017 से, जैसा कि अदालत ने निर्देश दिया है. 

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